श्वेत क्रांति लाने में अतुलनीय योगदान देने वाले डॉ वर्गीज कुरियन को किया याद

11/26/2015 3:51:32 PM

करनाल (कमल मिड्ढा): 140 मिलियन टन दूध उत्पादन के साथ आज भारत विश्वभर में दूध उत्पादन के मामले में अग्रणी स्थान पर है लेकिन बढ़ती जनसंख्या के लिहाज से हमें अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है। भारत में प्रति व्यक्ति औसत 250 ग्राम दूध की खपत है जिसे आने वाले सालों में और बढ़ाने के भरपूर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। सबसे बड़ी समस्या दूध की प्रोसेसिंग को लेकर है, आज गैर संगठित क्षेत्र में दूध की प्रोसेसिंग मात्रा 7 से 8 प्रतिशत है जिसे 2050 तक 80 प्रतिशत किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस संबंध में करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसन्धान संस्थान ने दूध की प्रोसेसिंग को बढाने के लिए एक विजन डाक्यूमेंट जारी किया है जिसमें संगठित और गैर संगठित क्षेत्र में दूध को प्रोसेसिंग को बढ़ाने के लिए काम करने का लक्ष्य रखा गया है। गौरतलब है कि करनाल का राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान दूध उत्पादन की दिशा में वर्षों से अपना महत्वपूर्ण योगदान देता आ रहा है और यहां के वैज्ञानिकों के प्रयास के चलते देश की दुग्ध क्षमता में उल्लेखनीय प्रगति भी हुई है।

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर संस्थान में आज श्वेत क्रान्ति लाने में अतुलनीय योगदान देने वाले डॉ वर्गीज कुरियन स्मृति पर व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में डेयरी से जुड़े लोगों ने भाग लिया और डॉ वर्गीज के दुग्ध क्रान्ति में योगदान और दूध उत्पादन में आने वाली चुनौतियों पर अपना संबोधन दिया। गौरतलब है कि करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसन्धान संस्थान दूध उत्पदान बढ़ाने और दूध को एक पूर्ण पोषाहार में बदलने के लिए निरंतर प्रयासरत है जिसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिली है। इसके आलावा पशुओं की नस्ल सुधरने के लिए संस्थान क्लोनिंग विधि को भी किसानों तक पहुंचाने के लिए रिसर्च कर रहा है।