बासमती काे नहीं मिले रहे ख़रीदार

punjabkesari.in Wednesday, Nov 04, 2015 - 01:36 PM (IST)

कुरुक्षेत्र, (रणदीप रोड) : हरियाणा की जो बासमती पूरी दुनिया में नाम से बिकती है, आज उसे मंडियों में ही ख़रीदार नहीं मिल रहे। हरियाणा की मंडियां अनाज मंडी से पटी पड़ी हैं। बासमती की इस बेकद्री ने न केवल हरियाणा के किसानों को बेहाल कर दिया है, बल्कि बासमती चावल उद्योग भी चरमराने लगा है।

सोने जैसे रंग और ख़ास महक के लिए मशहूर यह बासमती हरियाणा की मंडियों में ठोकरें खा रही है। अपनी बासमती को बेचने के लिए किसान व्यापारियों के मिन्नतें कर रहे हैं, लेकिन लाख जतनों के बावजूद बात नहीं बन रही। बासमती को ख़रीदार नहीं मिल रहे। ऐसे में इस बेकद्री का फ़ायदा कुछ व्यापारी उठा रहे हैं। दो साल पहले छह हजारी हो चुकी बासमती को इस बार दो हज़ार रुपए में ख़रीदा जा रहा है। किसानों को कुछ नहीं सूझ रहा। न उनके पास गोदाम हैं और न ही स्टोक करने की गुंजाइश। लिहाज़ा किसान आैने-पौने दामों में अपनी फ़सल को ठिकाने लगाने को मजबूर हैं।
हरियाणा बासमती का बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। सूबे में क़रीब आठ लाख हेक्टेयर में बासमती की काश्त की जाती है, जिससे लगभग तीस लाख टन उत्पादन होता है। हरियाणा के बासमती चावल की बड़ी खेप दुनिया के क़रीब 70 मुल्कों में निर्यात होती है। विदेशों में हरियाणा की बासमती नाम से ही मशहूर है और हाथों-हाथों बिक जाती है। बासमती के निर्यात का यह कारोबार क़रीब बीस हज़ार करोड़ रुपए के आसपास का है, लेकिन इस बार बासमती की बेकद्री ने किसानों की कमर तोड़ दी है। ऐसे में किसान आगे से बासमती की फ़सल लगाने से तौबा करने लगे हैं। लिहाज़ा बासमती की बेल्ट और बीस हज़ार करोड़ का निर्यात कारोबार, दोनों ही चौपट हो सकते हैं।
बासमती निर्यातक इस बार ख़रीद से ठिठक रहे हैं। बड़े व्यापारियों ने अपने हाथ खींच लिए हैं। इसकी बड़ी वजह व्यापारियों का भुगतान अटकना बताया जा रहा है। गल्फ़ कंटरीज में व्यापारियों का रोकडा फंसा हुआ है। कई देशों में चल रही उठापटक भी इसका कारण मानी जा रही है। बंदरगाहों पर भी काफ़ी चावल फंसा हुआ है। लिहाज़ा अब व्यापारी जोखिम लेने से बच रहे हैं। इस सारे हालात का ख़ामियाज़ा बासमती उत्पादक किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

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