फसलों के अवशेषों में आग लगाकर किसान उड़ा रहे नियमों की धज्जियां

5/20/2019 12:49:35 PM

ज्योतिसर(सुशील): गेहूं के फाने जलाकर किसान नियमों की धड़ल्ले से धज्जियां उड़ा रहे हैं। कृषि विभाग ऐसे किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रहा है लेकिन कृषकों पर इस बात का खास असर नहीं दिखता। गेहूं कटाई के फौरन बाद फानों में आग लगाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। विधानसभा में पास एक कानून के अनुसार पर्यावरण नियमों की अधिसूचना क्रमांक 12/6/2006-ई.एन.वी. दिनांक 16/9/2003 के अनुसार खेत में फसलों के अवशेषों को जलाने पर पूर्ण रूप से पाबंदी है।

इसके तहत फानों में जान-बूझकर आग लगाने वाले किसानों के खिलाफ जुर्माना व सजा का प्रावधान है लेकिन किसान हर वर्ष फसलों के अवशेषों को जलाने में जुटे रहते हैं। किसानों को इस बात का भी अंदेशा नहीं कि फसलों के अवशेषों में आग लगाने के भयंकर परिणाम सामने आ रहे हैं। आग लगाने से जहां पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है, वहीं हरियाली भी नष्ट हो रही है। आग लगने से सड़कों के किनारे लगे पेड़-पौधे जलकर सूख जाते हैं।

आग से उठने वाले धुएं के कारण पर्यावरण में जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ रही है जिससे सांस, त्वचा और आंखों की बीमारियां बढ़ रही हैं। आमतौर पर देखने में भी आ रहा है कि राजमार्गों के किनारे खेतों में आग लगने से धुएं के कारण वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।

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