अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव: 4 दिन शेष, तैयारियां अधूरी

11/18/2019 4:57:37 PM

कुरुक्षेत्र(धमीजा): गीता जयंती महोत्सव को सरकार अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का दर्ज दे चुकी है। इस साल भी पूरी भव्यता से उत्सव मनाने की तैयारी है। उत्सव शुरू  होने पर मात्र 4 दिन बचे हैं लेकिन अभी तैयारियां अधूरी हैं। निर्माण कार्य अभी चल रहे हैं। ब्रह्मसरोवर, सन्नेहित सरोवर, ज्योतिसर, बाण गंगा तथा अन्य तीर्थ स्थलों के सरोवरों पर लगे पत्थर कई स्थानों पर टूटे हैं। पैर फिसलने पर किसी भी बुजुर्ग एवं बच्चे का पैर फिसलने से कोई भी हादसा हो सकता है।  पंजाब केसरी टीम ने रविवार को गीता जयंती महोत्सव की तैयारियों का जायजा लिया।

ब्रह्मसरोवर के शौचालयों में अव्यवस्था का आलम है। टूटियां टूटी हुई हैं। कई शौचालयों में टायलेट सीट भी जर्जर हालत में है। कई शौचालयों में ताले लगे हुए थे। लाइटों को अभी दुरुस्त नहीं किया गया। ज्योतिसर तीर्थ स्थल पर निर्माण कार्य अधर में लटके हुए हैं।  48 कोस के अन्तर्गत आने वाले तीर्थ स्थलों पर गीता जयंती उत्सव मनाने का दावा किया गया है लेकिन  कई तीर्थ स्थलों पर उत्सव मनाने का प्रचार प्रसार नहीं किया गया। उत्सव को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 50 लाख पर्यटकों का आने का दावा किया गया। लेकिन देश के विभिन्न राज्यों के पर्यटक स्थलों, देश की राजधानी में स्थित मुख्य भवनों के अलावा प्रगति मैदान दिल्ली में लगे ट्रेड फेयर में भी प्रचार नगण्य है। 

ग्रीन अर्थ संस्था ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र 
गीता साक्षी वट वृक्षों तथा ज्योतिसर मंदिर परिसर को सांस्कृतिक विरासत घोषित करवाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री, पुरातत्व विभाग व केंद्र सरकार को लिखा पत्र पर्यावरण संरक्षण में कार्यरत ग्रीन अर्थ संगठन ने एक बार फिर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, पुरातत्व विभाग व केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि गीता साक्षी वट वृक्षों तथा ज्योतिसर मंदिर परिसर को इस साल होने वाले गीता महोत्सव के मौके पर सांस्कृतिक विरासत घोषित करवाए।

संगठन के सदस्य डा. नरेश  भारद्वाज  ने बताया कि वे 9 साल से लगातार मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, पुरातत्व विभाग व केंद्र सरकार से मांग कर रहें हैं कि 5155 साल प्राचीन विरासत गीता साक्षी वट वृक्षों तथा मंदिर परिसर को विश्व या राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत घोषित किया जाए। संगठन के पदाधिकारी पूर्व केंद्रीय पर्यटन मंत्री डा. महेश शर्मा से मिलकर भी इस बारे मांग कर चुके हैं लेकिन सिवाय कोरे आश्वासन के कुछ भी कदम नहीं उठाए हैं। इस मांग को लेकर ग्रीन अर्थ संगठन ने वर्ष 2015 में अनशन तथा पेड़ पर लगे प्लास्टिक के जाल काट दिए थे।

आर.टी.आई. में दी जानकारी में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड तथा पुरातत्व विभाग हरियाणा भी स्वीकार कर चुका है इन वट वृक्षों के नीचे ही भगवान श्री कृष्ण ने 5155 वर्ष पहले अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था तथा ये वृक्ष राष्ट्रीय महत्व के हैं। गीता जयंती को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है। प्रदेश के स्कूल पाठ्यक्रम में गीता के श्लोकों को शामिल नहीं किया गया है। संगठन की निदेशिका वरिंद्र कौर ने कहा कि यदि सरकार गीता के अस्तित्व को स्वीकार करती है तो ज्योतिसर तथा गीता साक्षी वट वृक्षों तथा ज्योतिसर को भी सांस्कृतिक विरासत घोषित करना चाहिए।

Edited By

vinod kumar