सरस्वती महोत्सव: सरकार के बड़े-बड़े दावों की खुल रही पोल , इंतजाम जीरो

1/14/2018 12:26:21 PM

पिहोवा(ब्यूरो):पिहोवा में 18 से 22 जनवरी तक अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव मनाया जाएगा। सरकार व प्रशासन की ओर से बड़े-बड़े जुबानी दावे किए जा रहे हैं मगर इंतजाम दावों के विपरीत हैं। जिस पार्क में महोत्सव का आयोजन होना है, वहां सीमैंट के ब्लाक लगाकर पार्क को पक्का किया जाना है मगर हकीकत यह है कि लगभग 4 एकड़ के पार्क में एक हिस्से में ही ब्लाक लग पाए हैं। पार्क के किनारे चल रहे कार्य को आनन-फानन में पूरा करने की कोशिश की जा रही है। महिला घाट से लेकर वाल्मीकि तीर्थ तक मुख्य सरस्वती सरोवर को पक्का किया जाना है। वहां भी कार्य समय रहते पूरा होना मुश्किल प्रतीत होता है। एक महिला घाट के जीर्णोद्धार व दूसरे घाट के निर्माण कार्य भी अभी तक पूरे नहीं हो सके हैं। प्रांची तीर्थ से लेकर गऊशाला रोड तक भी सरस्वती नदी में गंदगी की भरमार है। 

हुडा ग्राऊंड के नजदीक व मॉडल टाऊन के पीछे सरस्वती किनारे पड़ी गंदगी प्रशासन के दावों की हकीकत बयान कर रही है। सरस्वती नदी में बहते जल की व्यवस्था करने की परियोजना के तहत ट्रायल के तौर पर पानी तो छोड़ दिया मगर उससे आगे जीर्णोद्धार कार्य चलने के कारण गऊशाला रोड के नजदीक जल रोक दिया है। लिहाजा उसमें भी गंदगी की भरमार है। श्रद्धालुओं, शिल्पकारों व विशिष्ट तथा अति विशिष्ट मेहमानों के रहने व खाने-पीने जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा करना भी प्रशासन के लिए कठिन चुनौती होगी। ऐसा लग रहा है जैसे आनन-फानन में अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव का निपटारा कर दिया जाएगा

109 नदियों का जल मिलाया जाएगा सरस्वती तीर्थ में
सरस्वती तीर्थ पर चल रहे निर्माण कार्य की देखरेख व खर्च करने वाली संस्था लुधियाना मां सरस्वती विकास ट्रस्ट की 10 सदस्यीय इकाई के महासचिव योगेश दत्ता ने बताया कि उनका ट्रस्ट तीर्थ के जल को साफ रखने के लिए आधुनिक उपकरण लगाना चाहता था लेकिन स्थानीय लोगों व जिला प्रशासन से बातचीत करने पर विकास कार्यों पर खर्च करना तय हुआ है। 22 जनवरी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरस्वती तीर्थ में बहते जल की परियोजना का शुभारंभ करेंगे।

इसके लिए भारत सहित अन्य देशों की 109 नदियों का जल एकत्रित कर सरस्वती तीर्थ में जलाभिषेक किया जाएगा। ट्रस्ट द्वारा तीर्थ के विकास व सौंदर्यीकरण पर करोड़ोंं रुपए खर्च किए जाना प्रस्तावित है। 22 जनवरी के बाद भी तीर्थ के विकास व सौंदर्यीकरण का कार्य जारी रहेगा। प्रशासन व सरकार भी तीर्थ के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। बहते जल की व्यवस्था, तीर्थ का सौंदर्यीकरण, महिला घाट का निर्माण व तीर्थ किनारे बने पार्क का विकास करना शामिल है।