बच्चों को घर पर मिड-डे मील दिए जाने का स्कूली मुखियाओं ने किया विरोध

3/24/2020 1:11:54 PM

शाहाबाद मारकंडा (सपरा) : निदेशक मौलिक निदेशालय की ओर से जिला एवं ब्लाक स्तर पर अधिकारियों को जारी पत्र में 31 मार्च तक स्कूल बंद होने के बावजूद बच्चों को मिड-डे मील घर पहुंचाने के निर्णय का स्कूल मुखियाओं ने विरोध किया है। विभिन्न स्कूलों के मुखियाओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि विभाग के आदेश महामारी फैलने से रोकने को घर बैठने की प्रधानमंत्री की अपील के खिलाफ हैं। 

उन्होंने कहा कि जो राशन बच्चों को दिया जाना है वह लगभग डेढ़-डेढ़ किलोग्राम है। जो अगर बच्चों के घर तक न भी पहुंचाया जा सके तो बच्चों को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन जो अध्यापक या कुक बच्चों के घरों को ढूंढकर राशन उनके घर पहुंचाएगा तो ऐसे में न केवल प्रशासन के आदेशों की अवहेलना है अपितु कोरोना वायरस फैलने का खतरा भी कई गुना बढ़ जाएगा। एक तरफ सरकारें इस वायरस से निपटने के लिए लॉकडाऊन, कफ्र्यू आदि लगा रही हैं दूसरी तरफ शिक्षा निदेशालय ऐसे बेतुके आदेश जारी कर रहा है। 

इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा जारी पत्र में कुकिंग कॉस्ट बच्चों के खाते में डालने के आदेश हैं। जोकि क्रमश: लगभग 48 एवं 67 रुपए के लगभग है। विभाग द्वारा इसके लिए कोई बजट भी जारी नहीं किया गया। अभी तक कई स्कूलों के अध्यापकों को फरवरी माह का वेतन भी नहीं मिला है तथा वित्त वर्ष 31 मार्च को समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में विभाग कब बजट जारी करेगा तथा कब इन बच्चों के खाते में नाममात्र की राशि जाएगी।

अगर विभाग को कोरोना से ज्यादा बच्चों को मिड-डे मील देने की फिक्र है तो विभाग के पास प्रत्येक स्कूल के बच्चों का डाटा है। विभाग अपने स्तर पर पी.एफ.एम.एस. के माध्यम से इन बच्चों के एकाऊंट में पैसे डाल सकता है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के अधिकतर माता पिता दैनिक मजदूरी कर अपना एवं अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। अगर विभाग को इन बच्चों की इतनी ङ्क्षचता है तो महामारी के समय प्रत्येक बच्चे के एकाऊंट में 1000 रुपए डालकर एक अच्छा उदाहरण पेश करें।

Isha