हरियाणा की दो टूक, 5 लाख प्रति माह दोगे तभी रखेंगे 6 हाथी

12/26/2017 2:57:02 PM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी):केंद्रीय वन मंत्रालय की ओर से यमुनानगर के बनसंतौर जंगल की एलीफेंट सैंचुरी में 6 हाथियों को आवास देने के निर्देश पर हरियाणा ने हाथ खड़े कर दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि हरियाणा ने केंद्र से छह हाथियों को रखने के लिए 3.5 से लेकर 5 लाख रुपये प्रति माह का बजट मांगा है। वहीं केंद्र को हरियाणा ने यह भी साफ कह दिया गया है कि अगर यह बजट नहीं मिलता है तो हाथियों को बनसंतौर के जंगल में रखना मुमकिन नहीं है। हरियाणा के वन विभाग की मानें तो दिल्ली के चीफ वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने हरियाणा सरकार को बनसंतौर की एलीफेंट सैंचुरी में छह हाथियों को रखने को कहा है। 

एक हाथी के खिलाने पिलाने, उसके सैर सपाटे और देखभाल की जिम्मेदारी आसान नहीं है। छह हाथियों के लिए एक दिन में 120 किलो फल, 1500 किलो गन्ना या हरा चारा और 360 किलो खिचड़ी व गेहूं का दलिया खाने के लिए दिया जाता है। जिन हाथियों को यहां लाया जाना है उन्हें ऐसे लोगों के चंगुल से आजाद करवाया गया है जो गैरकानूनी तरीके से उनका इस्तेमाल कर रहे थे। उनसे सर्कस में तमाशा दिखाने का काम लिया जा रहा था। छह हाथियों में चार हथिनियां, जबकि दो हाथी हैं। बनसंतौर की 450 एकड़ की सैंचुरी में 20 हाथियों को रखा जा सकता है।

5 साल में घट गई आबादी : 
हाथी देश का नेशनल हेरिटेज एनिमल है। यूनियन इनवायरनमेंट मिनिस्ट्री की रिपोर्ट की मानें तो पांच साल में हाथियों की आबादी घट गई है। रिपोर्ट की मानें तो 23 राज्यों में की गई गणना के मुताबिक हाथियों की तीन हजार संख्या कम हो गई है। वर्ष 2012 में 29,391 से लेकर 30,711 हाथी थे, जबकि वर्ष 2017 में उनकी आबादी सिर्फ 27,312 पर सिमट कर रह गई है। इन्हें बचाने को कुछ राज्यों में गज यात्रा प्रोजैक्ट की शुरुआत भी की जा चुकी है।

चंचल, मिली और लक्ष्मी को घायल अवस्था में लाए थे सैंटर
वर्ष 2008 में बनसंतौर में एलीफेंट सैंचुरी की स्थापना की गई थी। इसका नाम एलीफेंट रिहेबिलिटेशन एंड रिसर्च सेंटर रखा गया था। सेंटर में बीमार, कमजोर और घायल हाथियों को रखने का फैसला किया गया था। हरियाणा का वन विभाग और वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था द्वारा पर्यावरण मंत्रालय के समर्थन के साथ हाथियों की देखभाल की जा रही है। 10 साल में बनसंतौर में तीन हथिनियां लाई गईं। यहां 75 साल की चंचल, 59 साल की लक्ष्मी और 38 साल की मिली रह रही हैं। तीनों से हरियाणा में भीख मांगने का काम लिया जा रहा था। ये तीनों घायल और बीमार थीं।

डाइट में 20 किलो फल, 250 किलो गन्ना व 60 किलो खिचड़ी
सेंटर के महावत असगर का कहना है कि गर्मी में हाथी दिन में दो बार व सर्दी में एक दफा नहाते हैं। एक हाथी को दिन में 20 किलो फल दिए जाते हैं। इसके अलावा 250 किलो गन्ना या हरा चारा एक हाथी को दिया जाता है। शाम के समय 60 किलो खिचड़ी या गेंहू व गुड़ का दलिया खिलाया जाता है। दिन में एक दफा हाथियों के पैरों की पेडिकयोर भी की जाती है क्योंकि उनके नाखून में कट लग जाते हैं। पिछली टांगों में गलिसरीन और कलोसिप का लेप भी किया जाता है ताकि उनकी टांगों को इंफेक्शन से बचाया जा सके। सर्दियों में उन्हें 100 ग्राम मसाले भी खिचड़ी के साथ खिलाए जाते हैं। एक हाथी दिन में 40 से 80 लीटर तक पानी पीता है। हाथियों को एक दिन में 12 से 14 किलोमीटर सैर करवाई जाती है। सेंटर के मैनेजर अशीष पटूरा ने कहा कि एक हाथी पर दिन में 3000 रुपये खर्च आता है। हाथी के साथ एक महावत भी जरूरी है। 

कुछ औपचारिकताएं बाकी
हरियाणा के एडिशनल प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट एस.एम.सोमाशेखर ने कहा कि हरियाणा के सेंटर में हाथियों को रखने के लिए जगह है। इसी वजह से हाथियों को हरियाणा में रखने को कहा गया है। इन्हें लाने से पहले कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी जरूरी हैं। बनसंतौर की जगह का मुआयना करने के लिए पिछले दिनों दिल्ली वाइल्ड लाइफ वार्डन की टीम यमुनानगर आई थी। टीम हाथियों के लिए जगह को मंजूरी दे चुकी है। कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट एम.एल.राजवंशी का कहना है कि हाथियों से भीख मंगवाना अपराध है। लोग हाथी खरीदने के बाद उन्हें दूसरों को भीख मांगने के लिए किराए पर दे देते हैं, उन्हें ठीक से खाने पीने को भी नहीं दिया जाता। ऐसे हाथियों को रेस्क्यू सेंटर्स में रखा जा रहा है और उनको इलाज दिया जा रहा है।