अब हरियाणा में लगेंगे फलों के बाग, खेतीबाड़ी व्यवस्था को नई दिशा

12/24/2017 12:15:19 PM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा के किसान अब खेतों में फलों के बाग भी लगा सकेंगे। अनार, आम, अमरूद, किन्नू जैसे फल न सिर्फ हरियाणा में उपजाए जा सकेंगे बल्कि बढिय़ा किस्म की खेतीबाड़ी व्यवस्था को नई दिशा देगी। विशेषज्ञों के अनुसार सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के बूते किसान फलों के अलावा सब्जियां भी रोप सकेंगे। फलदार पेड़ों को पानी की पर्याप्त मात्रा की जरूरत होती है। नए फलदार पेड़ों को पुराने के मुकाबले अतिरिक्त पानी की जरूरत होती है ताकि मिट्टी में खुद को स्थापित कर सके। सूक्ष्म सिंचाई के दम पर पेड़ों को बैक्टीरियल और फंगल डिसीजेज से भी बचाकर रखा जा सकता है।

हरियाणा नहरी विकास प्राधिकरण (काडा) ने गत वर्ष सूक्ष्म सिंचाई परियोजना को कुरुक्षेत्र जिला के एक गांव में लागू किया था। इससे न सिर्फ संबंधित गांव में धान की बढिय़ा पैदावार हुई बल्कि पानी की खपत भी कम की गई। नतीजों को ध्यान में रखते हुए अन्य 13 जिलों के किसानों को भी जोडऩे की तैयारी कर ली गई है। कैथल, करनाल, सिरसा, हिसार, पानीपत, झज्जर, भिवानी, अंबाला, जींद, सोनीपत, रिवाड़ी और महेंद्रगढ़ के गांवों में 20 दिनों में परियोजना का प्रसार कर दिया जाएगा। पायलट फेज में हरियाणा के 18 किसानों को जोड़ा गया था जबकि अब एक हजार किसानों को परियोजना का लाभ मिल सकेगा।

ओम प्रकाश धनकड़, दूर होगा जल संकट
हरियाणा का वाटर बजट 40 लाख एकड़ फुटकर प्रति वर्ष घाटे का है। पानी के संकट के चलते 36 ब्लॉक डार्क जोन घोषित किए जा चुके हैं। सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के पूरे हरियाणा में लागू होते ही जल संकट दूर हो जाएगा। ऐसी जमीन जहां पानी नहीं पहुंचता उन्हें मिलेगा और जहां बर्बादी होती है उसे रोका जा सकेगा। पानी के ज्यादा बहाव की वजह से 4 लाख 60 हजार हेकटेयर कामीन खराब हो चुकी है।

फसलों को मिलेगा 100 फीसदी पानी
कुरुक्षेत्र में पायलट प्रोजैकट की सफलता को देखते हुए अन्य 13 जिलों को भी जोड़ा जाएगा। पारंपरिक तरीकों से 40 प्रतिशत फसल को पानी नहीं मिल पाता था। सींचने के लिए किसानों को बारी का इंतजार करना पड़ता था। परियोजना की वजह से सौ फीसदी फसल को पानी मिल सकेगा। फसलों की जड़ तक पानी पहुंचाने के लिए बिजली की बजाए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया गया।

सिंचाई में 100 यूनिट ऊर्जा का प्रयोग हुआ तो बदले में ग्रिड के पास 115 यूनिट ऊर्जा पहुंची। परियोजना के लिए अप्राकृत्तिक स्रोतों के प्रयोग की जरूरत नहीं पड़ी। परियोजना की वजह से 42 प्रतिशत पानी की बर्बादी रुकी और 12 प्रतिशत अतिरिक्त फसल भी पैदा हो सकी। सूक्ष्म सिंचाई के दम पर हरियाणा में फलदार बागों की स्थापना भी की जा सकेगी। हार्टिकल्चर विभाग की मदद से किसान न सिर्फ फलों के बाग स्थापित कर सकेंगे बल्कि ऐसी सब्जियां भी पैदा की जा सकेंगी जिनकी उपज पहले संभव नहीं थी।

42 प्रतिशत पानी की बर्बादी रोकी
कुरुक्षेत्र जिले के गांव गुमथला में अध्ययन के तौर पर 3 एकड़ जमीन पर धान की खेती की गई। एक एकड़ पर बाढ़ सिंचाई के बूते पानी दिया गया जबकि दो एकड़ को सूक्ष्म सिंचाई से सींचा गया। सौर ऊर्जा के पैनल और ग्रिड भी स्थापित किए। 5 जुलाई, 2017 को शुरुआत की थी। किसानों और कृषि विशेषज्ञों के अलावा इंडियन कौंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनोमिक रिलेशन के वैज्ञानिकों ने नजर रखी। अक्तूबर में कटाई के बाद पाया कि सूक्ष्म सिंचाई से 42.02 प्रतिशत पानी की बर्बादी को रोका जा सका। एक एकड़ जमीन पर बाढ़ सिंचाई का खर्च 9880 रु हुआ जबकि दो एकड़ कामीन पर सूक्ष्म सिंचाई पर 10415 रुपए लगे। सूक्ष्म सिंचाई से फसल से किसान को 35418 और बाढ़ सिंचाई से 31342 रुपए की कमाई हुई। प्रति एकड़ में 24,00,000 लीटर पानी का प्रयोग किया जबकि बाढ़ सिंचाई में किसान को एक एकड़ पर 41,40,000 लीटर पानी की खपत करना पड़ी।

अब यहां लागू होगी परियोजना
परियोजना की सफलता के बाद अब कैथल, करनाल, सिरसा, हिसार, पानीपत, झज्जर, भिवानी, अम्बाला, जींद, सोनीपत, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के गांव में लागू किया जाएगा। इससे फसल की जड़ों तक पानी प्रेशर के साथ पहुंचाया जा सकता है। जहां पानी की कमी है वहां पर भी सिंचाई से फायदा होगा। इसके अलावा रेतली और लवणीय जमीन पर भी खेती की जा सकेगी। वहीं, ऊर्जा की भी बचत होगी।