CM खट्टर का ऐलान- हरियाणा में भी लागू होगा NRC, बाहर किए जाएंगे अवैध नागरिक

9/16/2019 11:53:22 AM

पंचकूला (उमंग): मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा चुनाव से पहले रविवार को  ऐलान करते हुए कहा कि असम की तरह हरियाणा में भी राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एन.आर.सी.) लागू किया जाएगा। इसके अलावा राज्य में कानून आयोग के गठन करने पर भी विचार किया जा रहा है। समाज के प्रबुद्ध व्यक्तियों की सेवाएं लेने के लिए अलग से एक स्वैच्छिक विभाग का गठन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री रविवार को सरकार के 5 वर्षों के कार्यकाल दौरान किए कार्यों की जानकारी देने के लिए महा जनसंपर्क अभियान के अंतिम दिन पंचकूला में हरियाणा राज्य मानव अधिकार आयोग के पूर्व चेयरमैन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एच.एस.भल्ला के सैक्टर-16 स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर 5 दिवसीय महासंपर्क अभियान चलाया,उसी कड़ी में वह पंचकूला में विभूतियों से मिल रहे हैं। न्यायमूर्ति भल्ला के अलावा पूर्व एडमिरल जे.एस.लांबा से सैक्टर-6 एम.सी.डी. तथा लैफ्टिनैंट सेवानिवृत्त बलजीत सिंह जायसवाल से अमरावती इनक्लेव में भी उन्होंने मुलाकात की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका उद्देश्य सरकार द्वारा पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल में किए कार्यों की जानकारी लोगों तक पहुंचाना है। वह आने वाले समय में क्या करना है, इसके बारे में भी प्रबुद्ध लोगों से सुझाव भी ले रहे हैं। अच्छे सुझाव को हम अपने संकल्प पत्र में शामिल भी कर सकते हैं।

मनोहर लाल ने कहा कि विकास कार्यों का ऑडिट समाज के प्रबुद्ध लोगों से हो इसके लिए सोशल ऑडिट सिस्टम लागू किया जाएगा, जिसमें भूतपूर्व सैनिकों, अध्यापकों, इंजीनियर या किसी अन्य प्रकार की विशेष उपलब्धि प्राप्त करने वाली विभूतियों को शामिल किया जाएगा। आने वाले समय में इसके लिए अलग से एक स्वैच्छिक विभाग का गठन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवार पहचान पत्र पर सरकार तेजी से कार्य कर रही है तथा इसके आंकड़ों का उपयोग राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में भी किया जाएगा। उन्होंने न्यायमूर्ति एच.एस.भल्ला के प्रयासों की सराहना की कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वे एन.आर.सी. डाटा का अध्ययन करने के लिए असम के दौरे पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार के लिए भी एक तरीके से बेहतर होगा और भल्ला की सेवाएं राज्य में स्थापित किए जाने वाले एन.आर.सी. के लिए उपयोगी होंगी। 

गौरतलब है कि असम में जारी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे से कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर किए जाने से उनके भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई है। साथ ही एक राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है।

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के मुताबिक, जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नहीं होता है, उसे अवैध नागरिक माना जाता है। इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। एनआरसी की रिपोर्ट से ही पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं है।

बता दें कि वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे के बाद कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी जमीन असम में थी। लोगों का दोनों और से आना-जाना बंटवारे के बाद भी जारी रहा। इसके बाद 1951 में पहली बार एनआरसी के डाटा को अपडेट किया गया।

Shivam