नक्सलियों से लोहा लेते भिवानी का लाल शहीद, पूरा परिवार आर्मी और पुलिस में (VIDEO)

3/8/2018 11:24:28 PM

भिवानी: गांव खरक कलां निवासी बीएसएफ में सहायक कमांडेंट गजेन्द्र नक्सली एन्काउंटर में ब्लास्ट के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गया। गांव में मातम पसर गया है क्योंकि हर घर में फौजी है तथा गांव का पहला जवान शहीद हुआ है।

जिस घर में कल तक खुशियां थी तथा चहचहाहट थी वहां आज मातम पसरा है। उस गली में ही नहीं गांव में भी मातम देखा जा सकता है। गांव का एक लाल वीरगति को प्राप्त हुआ है। नक्सलियो से लोहा लेते हुए गांव खरककलां निवासी गजेन्द्र सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए। गांव में ज्यों ही गजेन्द्र की शहादत का समाचार पहुंचा तो मातम पसर गया। हर कोई उस वीर की शहादत पर नाज करता दिखा।

वर्ष 1996 में बीएसपएफ में सीधी भर्ती से एसआई भर्ती हुए गांव खरककलां निवासी गजेन्द्र के पिता भी सेना में नायस सूबेदार के पद भी थे तथा भारत-पाक-भारत चीन व दूसरे युद्धों में भी उन्होंने देश की ओर से लड़ाई लडी मगर उनका बेटा अपने ही देश में नक्सलियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गया। गजेन्द्र के पिता मोतीराम के भी पांच भाई हैं जिनमें मोतीराम सेना में थे तो दो भाई हरियाणा पुलिस में व दो खेती बाड़ी करते हें मगर उनके बेटे भी सेना में सेवाएं दे रहे हैं।

गजेन्द्र सिंह के घर में मातम पसरा हुआ है। शहादत की जानकारी मिलने के बाद से परिवार वालों का रो रोकर बुरा हाल है। गजेन्द्र की मां का कहना था कि उन्होंने अपने बेटे को उसी दिन देश को समर्पित कर दिया था जब वो बीएसएफ में भर्ती हुआ था तो गजेन्द्र की पत्नी मोनिका भी अपनी दो मासूम बेटियों को गोद मे लिए हुए जहां पति की वीरता पर गर्व कर रही थी तो उन दो दुधमुंही बच्चियों के भविष्य की चिंता भी उनके चेहरे पर झलक रही थी।

शादी के 17 साल बाद घर मे एक साथ दो बेटियों के जन्म के बाद परिवार में खुशी का माहौल होना लाजमी था मगर किसी को नहीं पता था कि खुशियों के मातम में बदलते देर नही लगेगी। कल ही गजेन्द्र केी अपनी मां व पत्नी से बात हुई थी कि वो सकुशल है तथा फोन की रेंज अगर गायब हो जाए तो परिजन चिंता ना करें। गजेन्द्र की बहन भी फफक फफक कर रो रही थी तो अपने भाई की वीरता की कहानी भी सुना रही थी तो छोटा भाई पवन भी अपने भाई की शहादत पर गर्व करते हुए लगातार दहाड़ मार मारकर रो रहा था। परिवार के दूसरे लोगों का भी कुछ ऐसा ही हाल था।

उल्लेखनीय है कि साढ़े छह माह पूर्व ही गजेन्द्र की पत्नी मोनिका ने दो जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था तथा परिवार में खुशियों ने दस्तक दी थी। एकाएक परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूटने से हर कोई सकते में है। गजेन्द्र के भाई पवन के अनुसार इससे पहले भी उसने आतंकियों से लोहा लिया था।

गांव में मातम पसरा हुआ है व लोग गजेन्द्र के पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रहे थे। यह भी बता दें कि गांव के लगभग हर घर में फौजी हें तथा हर युद्ध में वे जौहर दिखा चुके हें तथा गांव की ओर से लड़ते हुए वीरगति पाने वाला गजेन्द्र पहला जवान है। जवान की शहादत पर हर कोई गर्व कर रहा है।