छत्रपति हत्याकांड में बड़ा खुलासा- 'राम रहीम के बचाव में आए थे पूर्व सीएम' (VIDEO)

1/18/2019 5:56:59 PM

सिरसा(सतनाम सिंह): पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में मुख्यारोपी राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद रामचंद्र के बेटे अंशुल छत्रपति ने मामले में एक बड़ा खुलासा किया है। अंशुल के बयानों के मुताबिक, उनके पिता की हत्या के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके चौ. भजनलाल ने समझौते का दबाव बनाया था। अंशुल ने ये भी आरोप लगाया है कि समझौते के लिए पंजाब के एक पूर्व मंत्री भी उनपर दबाव बना चुके हैं, हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और कानूनी लड़ाई जारी रखी और अंत में उनकी जीत हुई।



अंशुल छत्रपति ने कहा कि इतने लम्बे संघर्ष के बाद जो कोर्ट ने फैसला सुनाया है वो संतोषजनक है, न्याय की जीत हुई है। जिस व्यक्ति के खिलाफ हम लड़ाई लड़ रहे थे, उसके बारे में लोग कहते थे कि गुरमीत राम रहीम को सलाखों के पीछे कोई नहीं डाल सकता, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुनाया, इससे हम संतुष्ट हैं। बातचीत में अंशुल ने बताया कि केस के दौरान उनके पास कई राजनेताओं की तरफ से डेरे के साथ समझौता करने की बात रखी गई थी। अप्रत्यक्ष तरीके से राजनेताओं द्वारा समझौता करवाने की पेशकश की गई। हमारे सहयोगियों को तोडऩे का प्रयास भी किया गया।



उन्होंने कहा कि हमारे एक सहयोगी शिव राम को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ने डेरे के साथ हमारा समझौता करने की पेशकश की थी, जब हमने इस बात का इंकार किया तो उनके तरफ से कहा गया कि डेरे का कुछ नहीं बिगड़ेगा। अंशुल ने बताया कि पंजाब के एक पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर की तरफ से समझौता करने की पेशकश की गई थी, उन्होंने हमारे वकील से समझौता करवाने की अपील की थी, लेकिन हमारे वकील ने मना कर दिया था।



अंशुल छत्रपति ने बताया कि वीरवार को कोर्ट में सीबीआई ने बात रखी थी कि इस मामले में परिवार को मुआवजा दिया जाये। साथ ही आरोपी गुरमीत राम रहीम को फांसी का सजा हो। अंशुल ने कहा कि हमें लगता है कि मुआवजा जरुरी नहीं था, सजा कोर्ट ने सुनाई इससे हमें संतोष है। परिवार द्वारा अंशुल को हीरो बताने पर अंशुल ने कहा कि मैं हीरो नहीं हूं, हीरो वो लोग हैं, जिन लोगों ने मेरा साथ दिया।



वहीं कोर्ट के फैसले के बाद दिवंगत रामचंद्र छत्रपति की पत्नी कुलवंत कौर ने पहली बार मीडिया में बयान देते हुए कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि भले ही देर हो जाए, लेकिन फैसला हमारे हक में आएगा। उन्होंने बताया कि जिस वक्त ये घटना हुई उसके बाद हम डर गए थे, मेरे बच्चे छोटे छोटे थे। अंशुल तो बड़ा था, मुझे डर था कि ये लोग मेरे बच्चों को अगवा न कर लें इसी के चलते मैंने श्रीयसी को बाहर भेज दिया। लेकिन कुछ समय बाद हमने सोचा कि हम लड़ाई लड़ेंगे। फिर हमने कानूनी लड़ाई लड़ी और हमें न्याय मिला। उन्होंने बताया की इन 16 सालों में हमें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन हम डरे नहीं और कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। 

Shivam