BJP का वोट ग्राफ 22 प्रतिशत गिरा, आम चुनावों में मिले 73 लाख वोट विधानसभा में 45 लाख पर सिमटे

11/2/2019 11:49:05 AM

डेस्कः हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम में सत्ताधारी दल भाजपा का मत प्रतिशत 22 प्रतिशत गिर गया है। गौरतलब है कि अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसे 58 प्रतिशत मत मिले थे।  मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार के कई मंत्री चुनाव हार गए हैं। ‘अबकी बार 75 पार’ का नारा देने वाली भाजपा 90 सीटों वाली विधानसभा में 40 सीटों पर सिमट गई। उसने 2014 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटें जीती थीं। निर्वाचन आयोग की वैबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार भाजपा को 36.3 प्रतिशत मत मिले हैं। इस विधानसभा चुनाव में पिछले चुनाव से अच्छा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के आसपास ही मत प्रतिशत मिला है। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 28.42 प्रतिशत मत मिला था जबकि इस विधानसभा चुनाव में उसे कुल मतदान का 28.2 प्रतिशत मिला है। 

प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणामों ने यह तो स्पष्ट दर्शा दिया है कि प्रदेश की जनता ने अलग-अलग पाॢटयों को वोट दिया जबकि सत्ताधारी पार्टी चाहे प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में होगी फिर भी इसका मत प्रतिशत लोकसभा चुनावों के मुकाबले में नीचे ही गया। हालांकि भाजपा ने जजपा की सहायता से गठबंधन की सरकार बना ली है परंतु वोटों के गिरते प्रतिशत के साथ लोगों का इन पर विश्वास गिरना भी चिंता का विषय है। 

आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो इसी वर्ष हुए लोकसभा चुनावों में प्रदेश की जनता के 73 लाख वोट भाजपा को मिले थे और अब विधानसभा चुनाव में मात्र 45 लाख वोट भाजपा की झोली में आए। विधानसभा चुनावों में 27 लाख वोटों की कटौती भाजपा के लिए ङ्क्षचतनीय है। राजनीतिक विश£ेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर पूरे देश ने अपना बहुमत दिया था और उस समय राष्ट्रवाद का मुद्दा पूरे देश पर हावी था। विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को ही चुनावी चेहरा बनाकर मैदान में उतारा गया था। ऐसी बात नहीं कि खट्टर की पारदर्शी एवं ईमानदार छवि काम नहीं आई परंतु कहीं न कहीं राजनीतिक नासमझी ने भी भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा दी।


चुनाव परिणामों ने खोली भाजपा की आंखें
राजनीतिकविदों के अनुसार विधानसभा चुनावों के परिणाम ने सत्ताधारी भाजपा को आइना दिखाने का काम किया है। भाजपा के 8 कैबिनेट मंत्री भी अपना चुनाव हार गए। इस बात का भी प्रदेश में बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। मुख्यमंत्री खट्टर की अपनी जीत का अंतर 2014 के मुकाबले 63,000 से घटकर 45,000 रह गया। इससे सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में पार्टी अपने लोगों के मन की बात से अनजान रही। चुनाव परिणामों ने खोलीं भाजपा की आंखें खोलीं है।



लोकसभा में हावी रहा सर्जिकल स्ट्राइक
जहां तक लोकसभा चुनावों में 10 सीटों पर जीत दर्ज करने की बात है तो उस समय बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक मुद्दा पूरे देश में हावी था और लोगों के मन पर राष्ट्रवाद छाया हुआ था परंतु विधानसभा में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं और यही प्रदेश में हुआ।

खट्टर रहे भाग्यशाली
स समय यह कहना कोई बड़ी बात नहीं है कि मुख्यमंत्री खट्टर भाग्यशाली रहे क्योंकि इनके बड़े नेता रामविलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु एवं ओ.पी. धनकर चुनाव हार गए। खट्टर की अपनी जीत ने पार्टी की साख बचा ली है परंतु प्रदेश सरकार पर पुन: सत्तासीन होने के बावजूद भाजपा की जीत अधूरी रह गई है।


जजपा ने सेंध लगाई इनैलो के वोट बैंक को
10 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद सत्ता में भागीदार बनी जजपा इन विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी बाजी मार निकली। दुष्यंत चौटाला डिप्टी सी.एम. के पद पर पहुंच गए हैं। जजपा ने भी अपने घर की पार्टी इनैलो के वोट बैंक में ही सेंधमारी की है। इनैलो का वोट बैंक हमेशा से ही चौटाला परिवार का ही रहा है इसीलिए दुष्यंत इसमें सफल हो गए। इन चुनावों में जजपा को 14.79 प्रतिशत वोट मिले हैं जबकि इनैलो ने 2.44 प्रतिशत वोट प्राप्त किए हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो परम्परागत रूप से इनैलो ने 2014 एवं 2009 के विधानसभा चुनावों में 24 से 27 प्रतिशत वोट प्राप्त किए हैं। अब इनके वोट प्रतिशत का कुछ भाग कांग्रेस व अन्य पाॢटयों को भी गया है। 

Isha