दिव्यांग सुरेन्द्र ने चीरा समंदर का सीना, 120 घंटे तैराकी कर बनाया रिकॉर्ड

12/7/2018 10:03:32 PM

फतेहाबाद(रमेश भट्ट): कहते हैं कि 'मंजिले उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों मे जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है।' इन पंक्तियों को सच कर दिखाने वाले कोई और नहीं बल्कि फतेहाबाद के गांव भूथन के रहने वाले दिव्यांग सुरेंद्र हैं। सुरेंद्र की उपलब्धि पर जहां लोग दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो रहे हैं, वहीं गांव के लोगों का सीना फूल का चौड़ा हो गया है।

दरअसल, गांव भूथन निवासी हाथ और पैरों से दिव्यांग सुरेंद्र ने गुजरात के गोधरा में विकलांग दिवस पर आयोजित हुई पैरा स्वीमिंग प्रतियोगिता में लगातार 120 घंटे तैरकर एक रिकार्ड कायम किया है। चैंपियनशिप की यह पूरी प्रक्रिया गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड तथा लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड के अधिकारियों के सामने हुई। दोनों संस्थानों के अधिकारी सुरेंद्र के इस रिकार्ड की पूरी प्रक्रिया अपने साथ लेकर गए हैं, आशा है कि उनका नाम इन दोनों वल्र्ड रिकार्डों में शीघ्र ही दर्ज किया जाएगा।



प्रतियोगिता में सुरेंद्र और उसकी टीम ने 120 घंटे तैराकी रिकार्ड बनाकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।  गांव के जोहड़ से शुरु हुई सुरेंद्र की तैराकी अब समंदर तक जा पहुंची है। सुरेंद्र ने बताया कि साधनों और संसाधनों के अभाव में केवल हौंसले के बलबूते उसने गांव के जोहड़ से तैराकी सीखनी शुरु की और फिर यह दायरा जोहड़ से निकल कर नहर तक पहुंचा और फिर नदी और अब समंदर तक इसका फैलाव हो गया है।



उन्होंने बताया कि इससे पहले वह रूस में आयोजित हुई इंटरनेशन तैराकी प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल अपने नाम कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त नेशनल स्तर पर प्रतियोगिताओं में 10 गोल्ड, 3 सिल्वर और 2 ब्रांज मेडल अपने नाम दर्ज कर चुके हैं।



सुरेंद्र के कोच विकास ने बताया कि सुरेंद्र के दिव्यांग होने के कारण उसे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा, मगर आज उसकी सफलता देखकर तमाम परेशानियां वे भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, मगर साधनों और संसाधनों के अभाव में प्रतिभा दम तोड़ रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार ऐसे लोगों की प्रतिभा को निखारने के लिए साधन मुहैया करवाए ताकि उनकी प्रतिभा निखर कर सामने आए।

Shivam