किसान के बेटे ने बाईक के इंजन से बनाया हवाई जहाज

10/25/2017 1:12:52 PM

हिसार (विनोद सैनी): हौसला हो तो सपनों की उड़ान भरने के लिए पंख अपने आप लग जाते हैं। फिर उसके सामने बड़ी से बड़ी बाधा बहुत छोटी नजर आती है। ऐसा ही उदाहरण हिसार के गांव ढाणी मोहब्बतपुर निवासी बीटेक के छात्र कुलदीप टाक ने पेश किया है। 23 वर्षीय कुलदीप ने देसी जुगाड़ से उडऩे वाली अनोखी फ्लाइंग मशीन तैयार की है, जो 1 लीटर पेट्रोल में करीब 12 मिनट तक आसमान में उड़ती है। इसे पैराग्लाइडिंग फ्लाइंग मशीन या मिनी हैलीकॉप्टर का नाम दिया गया है। कुलदीप ने 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद पैराग्लाइडिंग फ्लाइंग मशीन को आसमान में उड़ाने में सफलता पाई है। मशीन दिखने में भले ही साधारण लगती हो, लेकिन ये उड़ान गजब की भरती है। ढाणी मोहब्बतपुर निवासी कुलदीप के पिता प्रहलाद सिंह टाक गांव में खेतीबाड़ी करते है। चंडीगढ़ से बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब कुलदीप इसी प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है। जिसमें मदद के लिए आर्यनगर निवासी सतीश कुमार ने भी अपना योगदान दिया।



टंकी फुल करने पर 1 घंटे की उड़ान
कुलदीप ने बताया कि मशीन को तैयार करने में करीब अढ़ाई लाख रुपये का खर्च आया है। इस फ्लाइंग मशीन से किसी को खतरा नहीं है। मशीन में बाइक का 200 सीसी इंजन लगाया गया है। इसके अलावा लकड़ी का पंखा लगा हैं। साथ ही साथ छोटे टायर लगाए हैं। ऊपर पैराग्लाइडर लगाया गया है जो उड़ान भरने और सेफ्टी के साथ लैंडिंग करवाने में सहायक है। यह मशीन 10 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है। गांव चौधरीवाली से आसपास के गांवों में कुलदीप ने अब तक करीब 2 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरी है। मशीन में ईंधन के रूप में पेट्रोल का प्रयोग किया जाता है। जिसमें 5-6 लीटर का टैंक है। पूरी फ्लाइंग मशीन में स्थानीय स्तर के सामान का प्रयोग किया गया है। यानी कुल मिलाकर इस मशीन की टंकी फुल होने के बाद आप 1 घंटे तक आसमान में उड़ सकते हैं। 



पिता बोले, रात-दिन इसी में लगा रहता था
कुलदीप के पिता प्रहलाद सिंह टाक ने बताया कि उसका बेटा देर रात इस मशीन को बनाता रहता था। उसके मना करने के बावजूद भी कुलदीप मशीन को पूरा करने में लगा रहा। करीब 6 माह पहले गोवा में पायलट की 3 माह ट्रेनिंग की थी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद भी कुलदीप का फ्लाइंग मशीन बनाने का जुनून कम नहीं हुआ। 



पहले भी तैयार किया था एयरक्राफ्ट, ट्रायल के दौरान ही हो गया था क्षतिग्रस्त
कुलदीप के सहयोगी सतीश आर्यनगर ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास था कि कुलदीप उन्हें हवा में जरूर सैर कराएगा। सहयोगी सतीश ने बताया हालांकि इससे पहले भी उसने एक एयरक्राफ्ट तैयार किया था, लेकिन वो ट्रायल के दौरान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बावजूद भी उसने हिम्मत नहीं हारी। फिर से पैराग्लाडिंग फ्लाइंग मशीन बनाने का निर्णय लिया और आज वो इसमें कामयाब हो ही गया। फिलहाल इस मशीन में केवल 1 ही व्यक्ति बैठ सकता है, लेकिन कुलदीप ने दावा किया है कि कुछ ही माह में ये मशीन 2 लोगों को लेकर उड़ेगी, जिसमें सबसे पहले वो अपने पिता को बिठाएगा।
कुलदीप की मां कमला ने बताया कि बेटे को हवा में उड़ता देखकर बहुत खुशी हो रही है। बेटे ने बड़े साल मेहनत की आखिर अब जाकर इसका फायदा मिला है। हमें काफी उम्मीद है कि हमारा बेटा और भी ऊंची उड़ान भरेगा।