डेंगू से बच्ची की मौत, फोर्टिस अस्पताल ने बनाया 18 लाख का बिल, नड्डा ने मांगी रिपोर्ट

11/21/2017 12:21:18 PM

गुरुग्राम(ब्यूरो): हरियाणा में आए दिन डेंगू से कई लोगों की मौत हो रही हैं। वहीं डॉक्टर इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूल रहे हैं। ऐसा ही एक मामला गुरुग्राम के मशहूर फोर्टिस अस्पताल में सामने आया है, जहां एक बच्ची के डेंगू के इलाज का बिल 18 लाख रुपए आया है लेकिन इतने ज्यादा बिल के बाद भी बच्ची को बचाया नहीं जा सका। अस्पताल के बिल में डॉक्टरों द्वारा प्रयोग किए 2700 दस्ताने और 660 इंजेक्शन भी शामिल थे। इस घटना से गुस्साए परिजनों ने अपना सारा रोष सोशल मीडिया पर निकाला और एक के बाद एक रिपोर्ट की कॉपी ट्विटर पर शेयर की। अस्पताल की इस लापरवाही को देखते हुए कई लोगों ने इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी कार्रवाई के लिए आगे आए और उन्होंने बच्ची के परिजनों से सारी जरूरी डिटेल्स और रिपोर्ट मेल करने के लिए कहा है। 

जेपी नड्डा ने मांगी अस्पताल से रिपोर्ट
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने ट्वीट कर कहा है कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और सरकार ने इस घटना को संज्ञान लेते हुए फोर्टिस अस्पताल से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। दूसरी तरफ अस्पताल के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से भी सारी जानकारी देने के लिए कहा गया। 

इलाज में लापरवाही से बच्ची की डेंगू से मौत
सात साल की बच्ची के पिता ने बताया कि उनकी बच्ची को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में डेंगू के इलाज के लिए लाया गया। अगले दिन उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। 15 दिनों के लिए वह वेंटिलेटर और डायलिसिस पर रही। डॉक्टरों ने कहा कि वह 24 घंटों में ठीक हो जाएगी। लेकिन बच्ची के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ।  3-4 दिनों के बाद डॉक्टरों ने उसके दिमाग में डैमेज की बात कही। जबकि इस दौरान उसकी कोई सीटी/एमआरआई नहीं की गई और इलाज जारी रखा गया। बच्ची की बिगड़ी हालात को देखते हुए परिजनों ने उसे दूसरे अस्पताल भी ले जाने की कोशिश की लेकिन इसी बीच उसकी मौत हो गई। 

डेंगू के इलाज का 18 लाख रुपए बिल
जब बच्ची के पिता ने इलाज का बिल देखा तो उसके होश उड़ गए। 15 दिनों के इलाज का बिल 18 लाख बनाया गया था। जिसके बाद परिजनों इस बिल को ट्विटर पर शेयर कर दिया। देखते बड़ी संख्या में लोगों ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी मामले की गंभीरता समझते हुए पूरी रिपोर्ट मांगी है। 

18 लाख के भुगतान के बाद मिला शव
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने बच्ची के इलाज में काफी लापरवाही बरती गई। बच्ची की मौत के बाद भी अस्पताल बिल के भुगतान के बिना शव देने के लिए तैयार नहीं था। फोर्टिस अस्पताल ने मृतक बच्ची के परिजनों द्वारा 18 लाख रुपए का भुगतान करने के बाद उसका शव परिजनों को दिया। मृतकों के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उनकी बेटी को तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा था, हालांकि उसने उपचार पर प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया था। परिजनों के कई बार कहने के बाद भी अस्पताल ने बच्ची का सीटी स्कैन और एमआरआई नहीं कराया।