बच्ची ने पेंटिंग में पेड़ों को जूते पहनाए, पंख लगाए ताकि वे कटने से बच सकें, गूगल ने डूडल बनाया

punjabkesari.in Friday, Nov 15, 2019 - 04:52 PM (IST)

गुरुग्राम (मोहित): साइबर सिटी गुरुग्राम में रहने वाले बच्चे भी पॉल्यूशन से परेशान हैं। इसी को ले कर सात साल की लड़की ने कैनवस का सहारा लिया और लोगों के दिलों में उतर गई। दिव्यांशी नाम की बच्ची ने ऐसी पेंटिंग बनाई है, जिसमें पेड़ों को जूता पहनाए, पंख लगाए दर्शाया है, जिसके चलते पेड़ स्वयं भाग कर कटने से बच सकें। दिव्यांशी की माँ ने इस पेंटिंग को गूगल द्वारा आयोजित स्पर्धा ‘द वॉकिंग ट्री’ में भेज दिया, जहां यह पेंटिंग 1.10  लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है। गूगल कंपनी ने इसे अपने डूडल में स्थान दिया है और साथ में ही 5 लाख रुपए की कॉलेज और 2 लाख रु. की स्कूल स्कॉलरशिप देने वाला है।

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नानी के घर कटे पेड़ देख कर हुआ दुख
गुरुग्राम के सेक्टर 51 रहने वाली दूसरी क्लास की छात्रा दिव्यांशी छुट्टियों में नानी के घर लखनऊ गई थी। वहां उसके घर में पेड़ काट दिए गए थे। यह देख वह बहुत रोई। उसे स्कूल में पढ़ाया गया था कि पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन उनके कटने से ही कम हो रही है। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूल जाते समय रोज उसका दम घुटता है।

मां ने उसका रोना बंद कराया और ड्रॉइंग शीट देते हुए कहा-की  पेड़ों के कटने से जो ख्याल उसके दिमाग में आये उसपर एक चित्र बनाए, दिव्यांशी दो से तीन दिन में एक ऐसा चित्र बनाया, जिसे देखकर उसके मम्मी-पापा भी हंसने लगे । इन तस्वीरों में पेड़ को भागने के लिया जूता पंख साईकिल और तैराकी को दर्शाया गया था  ,ताकि पेड़ अपने आप को काटने से बचा सके।

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दिव्यांशी को प्रोत्साहित करने के लिए गूगल को भेजी पेंटिग
दिव्यांशी द्वारा बनाए गए चित्र से खुश होकर उसकी मम्मी ने इसे गूगल के एक कार्यक्रम स्पर्धा ‘द वॉकिंग ट्री' में यह सोचकर भेज दिया कि दिव्यांशी को प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन जब नतीजा आया तो पता चला कि दिव्यांशी की यह पेंटिंग 1.1 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है। गूगल ने गुरुवार को चिल्ड्रन डे के मौके पर दिव्यांशी द्वारा बनाई पेंटिंग को डूडल में स्थान दिया तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और दिव्यांशी नेशनल विजेता बन गई।

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खेलने से ज्यादा पेंटिंग बनाने में है दिलचस्पी
दिव्यांशी गुरुग्राम के सेक्टर 51 में रहने की वाली हैं। पिता एक कंपनी में एचआर मैनेजर हैं। माँ एक आर्टिस्ट है और एक निजी स्कूल में ड्राइंग की टीचर है। दिव्यांशी अपना ज्यादातर समय खेलकूद में न देकर सारा समय पेंटिंग बनाने में लगाती है, उसके बनाए हुए सभी पेंटिंग लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं। दिव्यांशी की इस पहल से खुश होकर उसके घर वाले उसे भी एक आर्टिस्ट बनाना चाहते हैं।


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Shivam

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