गूगल में नौकरी करेगा हरियाणा का हर्षित, हर महीने 12 लाख रुपए सैलरी

7/30/2017 4:18:41 PM

कुरुक्षेत्र:चंडीगढ़ के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र हर्षित का गूगल में ग्राफिक डिजाइनिंग के लिए चयन हुआ है। हर्षित हरियाणा के कुरुक्षेत्र का रहने वाला है। हर्षित अपनी इस कामयाबी से काफी खुश है। वह 7 अगस्त को गूगल में ट्रेनिंग के लिए कैलिफोर्निया जाएगा। फिलहाल शुरुआती एक साल के लिए हर्षित को ट्रेनिंग पर रखा जाएगा और उसके लिए उसे हर महीना 4 लाख रु. सैलरी दी जाएगी। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद हर्षित को हर महीने 12 लाख रुपए सैलरी मिलेगी। 

सपने को सच करने के लिए की मेहनत
हर्षित ने कहा कि जब वह 10 साल का था तब से ही उसका झुकाव ग्राफिक डिजाइनिंग सीखने की तरफ हो गया था। इसके बाद उसने निर्णय किया कि वह 'गूगल' में नौकरी करेगा और तब से ही उसने अपने सपने को सच करने के लिए मेहनत करना शुरु कर दिया। 

अपने अंकल को दिया उपलब्धि का श्रेय
हर्षित गुप्त रूप से अपने एक अंकल से ग्राफिक डिजाइनिंग की ट्रेनिंग लेने लगा। हर्षित ने कहा कि उसने कभी नहीं सोचा था कि उसे गूगल द्वारा चुना जाएगा। हर्षित ने इतनी कम उम्र में अपनी इस बहुत बड़ी उपलब्धि का पूरा श्रेय अपने अंकल को दिया। हर्षित ने कहा कि आज मुझे जो भी कुछ मिला है वह केवल मेरे अंकल की वजह से मिला है, क्योंकि मैंने कभी भी ग्राफिक डिज़ाइनिंग सीखने के लिए किसी इंस्टीट्यूट में दाखिला नहीं लिया, जो कुछ भी सीखा अपने अंकल से सीखा है। 

माता-पिता हैं स्कूल में प्रिंसिपल
हर्षित ने बताया कि वह रोज सुबह 5 बजे घर से निकलकर करीब 200 किमी का सफर तय कर स्कूल पहुंचता था और शाम को 5 बजे ही घर में दोबारा पहुंचता था। उसे गूगल ने ग्राफिक डिजाइन की स्टडी के लिए गूगल सेंटर अमेरिका में बुलाया है। उसकी स्टडी का पूरा खर्चा गूगल उठाएगा। हर्षित के पिता डॉ. राजेंद्र शर्मा पंजाब के पातड़ा में स्थित निजी बी.एड. कॉलेज में प्राचार्य के पद पर हैं। मां भारती शर्मा प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका हैं। परिवार में उसका अपने चाचा के साथ बेहद लगाव है। वह पंजाबी गायकों के लिए पोस्टर डिजाइन करते थे। चाचा को देखकर हर्षिक को डिजाइनिंग का शोक जागा। 

स्कूल पहुंचने के लिए करना पड़ता था 200 किमी का सफर
हर्षित ने दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई हरियाणा शिक्षा बोर्ड से की। वह पढ़ाई के साथ अपने चाचा का काम में हाथ बंटाता था। उसके बाद इंफ्रोरमेंशन टैक्नॉलजी में पढ़ाई करने का दिल था। जिसके लिए पापा ने शहर के गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-33 में पढ़ने के लिए डाल दिया। रोज घर से आने और जाने में दो सौ किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था।