हरियाणा की 23 साल की बेटी बनी साइंटिस्ट, कभी नहीं ली प्राइवेट ट्यूशन

4/9/2017 9:39:53 AM

फरीदाबाद (पूजा शर्मा):सपना वो नहीं होता जो सोते समय आता है, सपना वो होता है जो हमें सोने नहीं देता। शुरुआत से एक वैज्ञानिक शोधकर्ता बनने की चाह मुझे सोने नहीं देती। दूसरा मिसाइल मैन व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम से मैं इतनी प्रभावित हुई कि मैंने उनकी तरह ही बनने की ठान ली। इस दौरान बहुत सी कठिनाईयों भरी परिस्थितियां आईं। लेकिन, मेरे माता-पिता व सभी शिक्षकों ने पूरा साथ दिया, जिसके दम पर मैं आज एक वैज्ञानिक बन पाई हूं। यह कहना हैं शहर की बेटी प्रियंका मंगला का, जिनका चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में बतौर इलैक्ट्रॉनिक साइंटिस्ट के पद के लिए हुआ है। 

प्रियंका ने मई 2016 में इस पद के लिए आई.सी.आर.बी. (इसरो सेंट्रालाईज्ड रिक्यूप्मेंट फॉर द पोस्ट ऑफ साइंटिस्ट) की परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में 216 पोस्ट के लिए देशभर से 56 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे। हाल ही मार्च में इसका परिणाम घोषित हुआ, जिसमें प्रियंका का चयन हुआ है। प्रियंका ने बताया कि ऑनलाइन परीक्षा परिणाम देखने के साथ ही इसरो से भी फोन पर चयन की सूचना प्राप्त हो चुकी है। मई में जॉनिंग लेटर मिल जाएगा। जिसके बाद बैंगलुरू स्थित इसरो मुख्यालय में एक माह की ट्रेनिंग होगी। प्रियंका का काम उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों को लेकर नई-नई शोध करना रहेगा। 

स्कूल-कॉलेज से मिली फीस में छूट
इंद्रा कॉलोनी की रहने वाली 23 वर्षीय प्रियंका के पिता कमल कुमार मंगला की स्टेशनरी की दुकान है और माता कमलेश ग्रहणी। प्रिंयका एलकेजी से लेकर 12वीं कक्षा तक सेक्टर-9 स्थित डिवाईन पब्लिक स्कूल से पढ़ी। इसके बाद उन्होंने मानव रचना कॉलेज से बीटेक (इलैक्ट्रिनक एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग) की पढ़ाई की। प्रिंयका ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। लेकिन, पढ़ाई में टॉपर रहने के चलते स्कूल व कॉलेज दोनों में उन्हें फीस में उन्हें छूट मिली। प्रिंयका गेट का एग्जाम भी पास कर चुकी है।

मेहनत के दम पर प्राप्त कर सकते हैं मुकाम
प्रियंका का कहना है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत जरूरी है। प्रियंका ने आज तक कभी ट्यूशन नहीं लिया। पढ़ाई को लेकर उनका टाइमटेबल हमेशा रहा है। दिन में वे करीब 8 से 10 घंटे पढ़ाई पर देती है। इसके अलावा प्रियंका को सोशल नेटवर्किंग साइट से भी लगाव है। उनका मानना है कि इन साइट पर बहुत सी जानकारी प्राप्त होती है।

स्लम बस्ती में शिक्षा का दीप जलाना लक्ष्य 
प्रियंका ने बताया कि इंद्रा कॉलोनी के आसपास पूरा स्लम इलाका है। यहां सरकारी स्कूल हैं। लेकिन, उसमें पर्याप्त सुविधाएं नहीं है। अभी जितनी भी मदद होती है। स्लम बस्ती के बचचिों को नि:शुल्क पढ़ाकर करती हूं। आगे पूरी कोशिश रहेगी कि इंद्रा कॉलोनी का एक भी बच्चा शिक्षा से अछूता न रहे। उनसे जितनी आॢथक मदद होगी वे अपने माता-पिता के हाथों से इस नेक काम को करवाएंगी। इस तरह मदद करके मुझे बहुत खुशी मिलेगी।