PM मोदी के मंत्री बीरेंद्र सिंह के गांव में दलितों पर शर्मनाक फरमान

punjabkesari.in Wednesday, Jul 05, 2017 - 12:07 PM (IST)

जींद:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां अपने दलितों को हमेशा ऊपर उठाने की कोशिश में जुटे रहते हैं और उनकी कैबिनेट में भी कई दलित मंत्री हैं। ऐसे में हरियाणा के जींद में दलितों के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है। दरअसल, केंद्रीय मंत्री के पैतृक गांव में दलितों के खिलाफ शर्मनाक फरमान सुनाया गया है, जिस पर विवाद के बाद गांव में तनाव का माहौल है। फरमान ये है कि इस गांव में एक मंदिर में शुरू हुए हवन यज्ञ में दलितों को भाग नहीं लेने देने को कहा गया है। इससे आहत दलित समाज के लोगों ने पुलिस में लिखित शिकायत देकर फरमान सुनाने वाले पर कार्रवाई करने को कहा है। 

कार्रवाई न करने पर दलितों की चेतावनी
दलितों ने चेतावनी दी है कि यदि पुलिस ने मामले में कार्रवाई नहीं की तो वह धरना प्रदर्शन करेंगे और प्रशासन के आला अधिकारियों से शिकायत करेंगे। वहीं, सदर थाना पुलिस का कहना है कि मामले में दोनों पक्षों में समझौता हो गया है। लेकिन दलित समाज का कहना है कि पुलिस ने दबाव डालकर समझौता कराया है।

यज्ञ से पहले पंडित ने जारी किया शर्मनाक फरमान
बता दे कि गांव डूमरखा खुर्द के एक मंदिर में हवन शुरू किया गया, जोकि 9 जुलाई तक चलेगा। यज्ञ से पहले गांव के लोगों की बैठक हुई, जिसमें एक पंडित ने हवन से दलित समाज को दूर रहने का फरमान जारी कर दिया। उसने कहा कि अगर दलितों ने यज्ञ में प्रवेश किया तो विघ्न पड़ जाएगा और गांव में शांति नहीं रहेगी। दलित सिर्फ भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।

दलित समाज के लोगों ने पंडित के फरमान का विरोध कर दिया। जब उन पर पंडित के आदेश का पालन करने के लिए दबाव डाला गया तो उन्होंने सदर थाने में लिखित शिकायत कर दी। दलित समाज के लोगों ने पुलिस से गुहार लगाई कि जात-पात का जहर फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। लिखित शिकायत मिलने के बाद सदर थाना प्रभारी रमेश कुमार मंदिर पहुंचे और गांव के लोगों से बात की।

पुलिस प्रशासन पर समझौते का आरोप
दलित समाज का आरोप है कि पुलिस प्रशासन समझौते के लिए दबाव डाल रहा है। लेकिन उन्होंने कोई समझौता नहीं किया है। उनका आरोप है कि पुलिस ने कई लोगों को थाने में बुलाकर समझौता लिखवा लिया है। जबकि गांव के सरपंच का कहना है कि वह भाईचारे के साथ विकास करवाना चाहते हैं। जातीय जहर घोलने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। दलित समाज के लोगों का कहना है कि यदि उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई तो पुलिस प्रशासन के विरोध में प्रदर्शन करेंगे और पुलिस के आला अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाएंगे।


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