रोचक: 1857 की क्रांति में नूंह की अहम भूमिका, अंग्रेजों ने 52 लोगों को फांसी पर चढ़ा दिया था

8/11/2019 10:29:48 PM

मेवात (एके बघेल): हरियाणा के सबसे पिछड़े जिले कहे जाने वाले मेवात की भूमि का अपना अलग ही इतिहास है। यहां के युवा देश की आजादी के खातिर अंग्रेजों कि सेना से लड़ते हुए 1857 में शहीद हुए थे। मेवात के इतिहासकारों ने बताया कि 1857 में मेरठ से अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लहर उठी तो दिल्ली के दक्षिण में आबाद हरियाणा के मेवात की आवाम ने इस जंग के आजादी में जोश खरोश से हिस्सा लिया। अंग्रेजों को हर तरफ मेव ही मेव दिखाई देने लगे।

10 मई 1857 को जिस बहादुर ने क्रांति के नक्कारे पर पहली चोट मारी वह चाँद खान मेवाती था। चाँद खान मेवाती के पहली गोली चलाने की देर थी कि सारा फौजी इलाका दीन-दीन के नारों से गूँज उठा। यह खबर मेवात पहुँची तो मेवात का पूरा इलाक़ा अंग्रेजों के लिए क़ब्रिस्तान बन गया। मेवात का हर गाँव अंग्रेजी फौज के लिए एक जबरदस्त मैदान ए जंग साबित हुआ। मेटकॉफ के अनुसार एक गाँव को अपने अधिकार में करने के लिए 5-5 पल्टन और तोपखानों के दस्तों के साथ जाना होता था। मेवाती किसानों ने तलवार, ख़ंजर, बंदूक और लाठियों से जिस जंगी महारत का सबूत दिया, वह अंग्रेजों के लिए हैरान कर देने वाला था। 



मेवाती बहादुरों का नेतृत्व कर रहे थे अली हसन
8 नवंबर 1857 को अंग्रेजों ने मेवात के सोहना, तावडू, घासेडा, राईसीना और नूंह सहित सैकड़ों गांवों में कहर बरसाया था। मेवातियों ने अंग्रेजों का जमकर मुकाबला किया। कुमाऊं बटालियन का नेतृत्व लेफ्टिनेंट एच ग्रांट कर रहे थे, यह दस्ता कई गांवों को तबाह करता हुआ गांव घासेड़ा पहुंचा, जहां 8 नवंबर को घासेडा के खेतों में अंग्रेज और मेवातियों के बीच जबरदस्त लड़ाई हुई। मेवाती बहादुरों का नेतृत्व अली हसन मेवाती कर रहे थे। दिन भर चली लड़ाई में अकेले गांव घासेडा के 157 लोग शहीद हुए। इस लड़ाई में मेवाती समय पर सूचना नहीं मिलने के कारण हारे। अंग्रेजों ने घासेड़ा पर फतेह करने के बाद जमकर खून की होली खेली। मेवाती तोपखानों के आगे भी बेबस नहीं हुए, उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए उनके अफसर मेकफर्सन का कत्ल कर दिया।



घासेड़ा के 425 मेवातियों का बेरहमी से कत्ल
19 वंबर 1857 को मेवात के बहादुरों को कुचलने के लिये बिग्रेडियर जनरल स्वराज, गुडग़ांव रेंज के सह उपायुक्त कली फोर्ड और कैप्टन डूमंड के नेतृत्व में टोहाना, जींद प्लाटूनों के अलावा भारी तोपखाना सैनिकों के साथ मेवात के रूपडाका, कोट, चिल्ली, मालपुरी पर जबरदस्त हमला बोल दिया। इस दिन अकेले गांव घासेड़ा के 425 मेवाती बहादुरों को बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। इस दौरान अंग्रेजों ने मेवात के सैकड़ों गांवों में आग लगा दिया।

52 लोगों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया
नूंह जिले के शाहपुर नंगली गांव में 52 लोगों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। शाहपुर नंगली गांव को 52 वीर शहीदों के नाम से जाना जाता है। सन 1857 में गांव के 52 लोगों ने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए देश की खातिर अपनी जान दे दी थी। उन वीर शहीदों ने अंग्रेजों के आगे घुटने नहीं टेके। उन्होंने अंग्रेजों का गुलाम बनना स्वीकार नहीं किया। जिसके चलते अंग्रेजों ने गांव के 52 लोगों को नूंह की बड़ी मस्जिद के समीप फांसी के फंदे पर लटका दिया था। अंग्रेजों ने इन 52 वीरों को धोखे से फांसी दी थी। आज भी उनकी यादों में नूंह नगर पालिका में मजार बनी हुई है। इसके अलावा खेडला गांव समीप शहीदों की याद में शहीद पार्क भी बनाई गई है। शहीद पार्क मेवात के वीरों और शहीदों की शहादत की कहानी का गवाह है। 

Shivam