जसमीत को नहीं बनाया जाएगा केयर टेकर, राम रहीम ही रहेंगे चीफ: विपासना

9/21/2017 11:07:16 AM

सिरसा(अरोड़ा): डेरे के नए गद्दीनशीन व वैकल्पिक तौर पर डेरा का केयर टेकर नियुक्त करने संबंधी चर्चाओं पर खुद डेरा प्रबंधन ने विराम लगा दिया है। डेरे की चेयरपर्सन विपासना इन्सां ने स्पष्ट किया कि अभी ऐसी कोई योजना नहीं है। गुरमीत सिंह ही डेरे के चीफ रहेंगे व उनके बेटे जसमीत इन्सां को फिलहाल डेरे का केयर टेकर बनाने की योजना नहीं है।विपासना ने यह भी स्पष्ट किया कि डेरा सच्चा सौदा में 23 सितंबर को गुरु गद्दी दिवस पर किसी तरह की मजलिस या कार्यक्रम का आयोजन नहीं होगा। डेरा सच्चा सौदा के नए प्रवक्ता बनाए जाने संबंधी स्टेटमैंट को भी गलत करार दिया। पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत में विपासना ने कहा कि संदीप मिश्रा मीडिया के समक्ष डेरा अनुयायियों की भावनाओं को रख रहे हैं। वे डेरा के पक्ष को रख रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रवक्ता नहीं बनाया है।

दरअसल इस समय अहम सवाल है कि अब डेरे को कौन संभालेगा? ऐसे में जानकारी मिल रही है कि डेरा प्रबंधन की ओर से ही डेरा की गतिविधियों को संचालित किया जाएगा व एक तरह से डेरा चीफ गुरमीत ही रहेंगे। बातचीत में उन्होंने साफ किया कि जसमीत इन्सां को फिलहाल केयरटेकर बनाने का इरादा नहीं है। उल्लेखनीय है कि 34 वर्षीय जसमीत इन्सां डेरा चीफ के इकलौते बेटे हैं। उनका परिवार पैतृक गांव श्री गंगानगर के गुरुसर मोडिया में रह रहा है। इस घटनाक्रम से पहले डेरा चीफ के बाद डेरे में सबसे अधिक हनीप्रीत की चलती थी। वह लापता है और पुलिस की वांटेड लिस्ट में टॉप पर हैं। डेरा चीफ के नजदीकी डेरा के प्रवक्ता डा. आदित्य इन्सां, पवन इन्सां भी पुलिस को वांछित हैं। पिछले करीब 26 दिन से डेरा को विपासना ही संभाल रही है। विपासना प्रशासन के टच में भी है और उससे समन्वय करके ही प्रशासन ने शाही बेटियों के अलावा अनाथ बच्चों को बाहर निकाला था।

सहमति के बिना निर्णय संभव नहीं
डेरा सच्चा सौदा की मुख्य ताकत अनुयायी हैं, जिनकी संख्या लाखों में है। ऐसे में जाहिर है कि अनुयायियों की आम सहमति के बिना डेरा प्रमुख जैसे ओहदे पर फैसला संभव नहीं है। इसके साथ ही जाहिर है कि जिस तरह की परिस्थितियां हैं, डेरे में आने वाले कई महीनों तक मजलिस होने की संभावना नहीं है। इसके अलावा डेरा की ओर से विभिन्न स्तर पर बनाई कमेटियां अहम हैं। डेरा में गांव स्तर पर भंगीदास प्रमुख हैं। इसके बाद एक सात सदस्यीय कमेटी और उसके बाद एक 15 सदस्यीय कमेटी है। इनके ऊपर 25 सदस्यीय व 45 सदस्यीय कमेटी है। 45 सदस्यीय कमेटी सभी से समन्वय कर फैसले पर मोहर लगाती है।