'अंतरिक्ष परी' कल्पना की पुण्यतिथि आज, ऐसी थी बहादुर बेटी के हौंसलों की दिलचस्प कहानी(video)

2/1/2018 4:42:30 PM

करनाल(विकास मेहला): आज से 15 साल पहले 1 फरवरी 2003 को भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्‍पना चावला कोलंबिया अंतरिक्षयान दुर्घटना में दुनिया छोड़कर चलीं गईं। आज दुनिया भर में कल्पना चावला की पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी जा रही है। करनाल की बेटी कल्पना चावला की पुण्यतिथि पर कल्पना चावला के स्कूल टैगोर बाल निकेतन में उनकी पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया और होनहार छात्रों को सम्मानित किया गया।

4 भाई-बहनों में सबसे छोटी थी कल्पना चावला

कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। कल्पना के पिता का नाम बनारसी लाल चावला और मां का नाम संज्योती चावला हैं। कल्पना का घर का नाम मोंटू था और वह अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। कल्पना के बारे में एक खास बात यह भी है कि उन्होंने 8वीं कक्षा में ही अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर कर दी थी। लेकिन उनके पिता चाहते थे कि कल्पना एक डॉक्टर या टीचर बनें।

कल्पना की पढ़ाई लिखाई
कल्पना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन स्कूल से की। उसके बाद साल 1982 में चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज चली गई जहां से उन्होंने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। कल्पना ने टैक्सस यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.टेक की पढ़ाई पूरी की। अमेरिका जाकर कल्पना ने साल 1984 में टेक्सास की यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।

फ्रांस के जॉन पीयर से हुई थी कल्पना की शादी

कल्पना चावला की शादी फ्रांस के जॉन पीयर से हुई थी, जोकि एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे। एम.टेक की पढ़ाई के दौरान ही कल्पना को जीन-पियर हैरिसन से प्यार हो गया। बाद में दोनों ने शादी भी कर ली। इसी दौरान उन्हें 1991 में अमेरिका की नागरिकता भी मिल गई थी। 

कल्पना को बैडमिंटन खेलना था पसंद
कल्पना चावला को पोएट्री, डांसिंग, साइक्लिंग व रनिंग का बहुत शौक था। वे हमेशा स्पोर्ट्स इवेंट्स में पार्टिसिपेट करती थी और दौड़ में फर्स्ट आया करती थी। वे बैडमिंटन खेलना भी बहुत पसंद करती थी।

1995 में लगे कल्पना के सपनों को पंख
कल्पना ने सन् 1993 में नासा में पहली बार अप्लाई किया था,  तब उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था लेकिन कल्पना ने हार नहीं मानी। 1995 में नासा ने अंतरिक्ष यात्रा के लिए कल्पना का चयन किया। उड़ान के लिए चुने जाने के करीब 8 महीने बाद उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवंबर 1997 को शुरू हुआ। उन्होंने 6 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। अपने पहले मिशन के दौरान कल्पना ने 1.04 करोड़ मील सफर तय करते हुए करीब 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताए और इस दौरान धरती के कुल 252 चक्कर भी लगाए।

1 फरवरी 2003 को घटी थी अनहोनी
सन् 2000 में कल्पना का सिलेक्शन दूसरी बार स्पेस यात्रा के लिए हुआ। यह मिशन तीन साल लेट होने के बाद 2003 में लांच हो सका। 16 जनवरी 2003 को कोलंबिया फ्लाइट STS 107 से दूसरे मिशन की शुरुआत हुई। 1 फरवरी 2003 को स्पेस शटल अर्थ के एटमॉसफियर में एंटर करने के दौरान तकनीकी दिक्कत आने की वजह से नष्ट हो गया। इसमें कल्पना सहित सभी मेंम्बर्स मारे गए। अंतरिक्ष यान में  सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर गिरे। यह टीम 16 दिनों में 80 एक्सपेरिमेंट पूरे कर चुकी थी। 

कल्पना के नाम पर पिहोवा राजमार्ग पर बनाया गया तारामंडल
कल्पना चावला के सम्मान में देश में कई योजनाएं शुरू हुईं। हरियाणा सरकार ने कल्पना के नाम पर करनाल में सरकारी अस्पताल का नाम कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज रखा और कुरुक्षेत्र में पिहोवा राजमार्ग पर कल्पना चावला तारामंडल बनाया गया। हरियाणा सरकार ने करनाल में कल्पना चावला के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी लेकिन मनोहर सरकार ने उसका नाम बदलकर जनसंघ के वरिष्ठ नेता स्व. दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कर दिया है।