हुड्डा के बाद किरण ने की सोनिया से मुलाकात, हरियाणा कांग्रेस के नेतृत्व पर फैसला जल्द

punjabkesari.in Saturday, Aug 31, 2019 - 03:30 PM (IST)

नई दिल्ली: हरियाणा में आगमी चुनावों की घटती तारीखों को मद्देनजर रखते हुए राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी कलह का समाधान निकालने के लिए हर संभव प्रयास में जुट गई है। जहां वृहस्पतिवार को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे थे, वहीं ठीक एक दिन बाद बीते शुक्रवार को सीएलपी लीडर किरण चौधरी भी दिल्ली के जनपथ 10 पहुंची, यहां उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की।

चौधरी ने बैठक की पुष्टि की, लेकिन यह बताने से इनकार कर दिया कि उनके और पार्टी के सोनिया गांधी के बीच क्या हुआ। उन्होंने कहा, "बैठक हरियाणा में संगठनात्मक मुद्दों पर चल रही विचार-विमर्श का हिस्सा थी। मैं आगे कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं " जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार की दोपहर चौधरी 10 जनपथ पहुंची और लगभग एक घंटे तक वहां रूकी थी।

बता दें कि हुड्डा ने हरियाणा पार्टी प्रभारी गुलाम नबी आजाद के साथ सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में नेतृत्व बदलने की आवश्यकता को जाहिर किया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि पिछले तीन दिनों के दौरान, सोनिया ने हरियाणा के मुद्दे पर पार्टी नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें की थीं।

पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने पुष्टि की कि उनके अलावा, राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा और एआईसीसी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को पार्टी के केंद्रीय नेताओं द्वारा हरियाणा में नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया है। उन्होंने कहा, "हम एक या दो दिन में निर्णय की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि चुनाव करीब आ रहे हैं," 

गौरतलब यह भी है कि भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के साथ 36 का आंकड़ा ने 18 अगस्त को रोहतक में परिवर्तन महा रैली को संबोधित करते हुए विद्रोह के संकेत दिए थे। हुड्डा वउनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने भी संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मोदी सरकार के कदम का समर्थन किया था। हुड्डा ने 25 सदस्यीय पैनल की भी घोषणा की थी, जिसमें 13 विधायकों की चर्चा की। रैली के दौरान, पूर्व सीएम ने पर्याप्त संकेत दिए थे कि यदि विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का नेतृत्व उन्हें नहीं सौंपा गया तो वे कांग्रेस को अलविदा भी कह सकते हैं।


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Shivam

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