सोनीपत बम धमाकों के दोषी आतंकी टुंडा को उम्रकैद की सजा

10/10/2017 12:31:29 PM

सोनीपत(पवन राठी): हरियाणा के सोनीपत में साल 1996 में हुए दो बम ब्लास्ट के मामले में दोषी आतंकी अब्दुल करीम डुंडा को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा दो अलग-अलग धाराओं में 50-50 हजार रुपए जुर्माना भी हुआ है। सोमवार को टुंडा को सोनीपत कोर्ट मेें पेश कर दोषी करार दिया गया था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा.सुशील गर्ग ने अब्दुल करीम टुंडा को सोनीपत में हुए बम ब्लास्ट में सजा का ऐलान किया।

गाजियाबाद जेल में सजा काटेगा आतंकी टुंडा
सोनीपत में बम ब्लास्ट मामलों में आतंकी टुंडा को उम्र कैद की सजा सुनाई गई, जिसके बाद वह गाजियाबाद जेल में अपनी सजा काटेगा। गाजियाबाद में टुंडा पर अौर भी कई मामलों के केस चल रहे हैं। इसके अलावा टुंडा की तबीयत ठीक नहीं रहती उसका इलाज भी गाजियाबाद में चल रहा है। इन सबके चलते टुंडा ने कोर्ट से मांग की कि उसे गाजियाबाद जेल में रखा जाए। 

10 मिनट में किए थे दो धमाके
आतंकी टुंडा पर सोनीपत में 28 दिसम्बर, 1996 को बस स्टैंड के पास स्थित तराना सिनेमा व 10 मिनट बाद गीता भवन चौक स्थित गुलशन मिष्ठान भंडार के पास बम ब्लास्ट किया था। इन दोनों घटनाओं में करीब एक दर्जन लोग घायल हुए थे, जिसके बाद इंदिरा कॉलोनी निवासी सज्जन सिंह के बयान के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान मामले में आतंकी अब्दुल करीम टुंडा का नाम सामने आया था, लेकिन टुंडा पाकिस्तान चला गया था, जहां कराची में लंबे समय तक रहा। जब वह नेपाल के रास्ते वापस भारत आया तो दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने उसे नेपाल बॉर्डर पर दबोच लिया था। तभी से उसकी रोहतक, सोनीपत व पानीपत के सीरियल बम धमाकों में पेेशी हो रही थी। टुंडा के साथ ही उसके 2 साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोपी शकील व कामरान को वर्ष 1998 में गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, सुनवाई के बाद शकील व कामरान बरी हो चुके हैं।

होम्योपैथिक दवाइयों की दुकान चलाता था टुंडा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पिलखुवा का रहने वाला अब्दुल करीब टुंडा 1980 में कभी होम्योपैथिक दवाइयों की दुकान चलाता था। इसके बाद जब वह आतंकी संगठनों के संपर्क में आया तो न सिर्फ उसने अपनी दुकान को बंद कर दिया बल्कि भारत में आतंक फैलाने का भी काम किया। 

ऐसे पड़ा था टुंडा नाम
कहा जाता है कि एक बार वह कुछ नौसिखिए आतंकियाें को बम बनाना सिखा रहा था और उस दौरान धमाके में उसका एक हाथ उड़ गया था, जिसकी वजह से उसे टुंडा के नाम से जाना जाने लगा। टुंडा पर दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद का करीबी होने के साथ-साथ टुंडा ने मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद समेत कई जगहों पर कुल 43 धमाके किए।1996 से 1998 के बीच दिल्ली, पानीपत, सोनीपत, लुधियाना, कानपुर और वाराणसी में हुए बम धमाकों का मास्टरमाइंड होने का भी आरोप है। वहीं भारत से बाहर पाकिस्तान और बांग्लादेश में उसका काम जारी रहा।