विजय दिवस विशेष: कारगिल में शहीद होने वाला सबसे युवा जवान था हरियाणा का मनजीत

7/26/2017 12:23:01 PM

फरीदाबाद (अनिल कुमार):26 जुलाई को कारगिल युद्ध में भारत की विजय के 18 साल पूरे हो रहे हैं। 1999 की गर्मियों की शुरुआत में जब सेना को पता चला कि उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया गया है। करीब 18000 फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जिनमे से एक फरीदाबाद के बराड़ा के गांव कांसापुर में जन्मे मनजीत सिंह थे। इनमें देश की सेवा करने का जज्बा था, लेकिन सेना में भर्ती होने के लगभग डेढ़ वर्ष उपरांत ही वह कारगिल के युद्ध में शहीद हो गए थे। 

सबसे कम उम्र में शहीद हुए थे मनजीत
आज भी बुजुर्ग माता-पिता उन दुखद पलों को याद कर सिहर उठते हैं। अगर पिता गुरचरण सिंह की मानें तो कारगिल में शहीद हुए मनजीत सभी शहीदों में से सबसे कम उम्र तथा हरियाणा का सबसे पहला नौजवान था जो दुश्मनों के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। वह लगभग 17 वर्ष की आयु में भर्ती तथा साढ़े 18 वर्ष की आयु में शहीद हुआ। शहादत को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली में एक फ्लैट तथा बराड़ा में गैस एजेंसी अलाट की गई थी। 

किसान के घर हुआ था शहीद का जन्म 
एक किसान के घर शहीद मनजीत सिंह का जन्म हुआ था। शहीद के पिता का कहना है कि पढ़ाई के समय से ही मनजीत की  इच्छा सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने की थी। गुरचरण सिंह के हरजीत सिंह, मनजीत सिंह व दलजीत सिंह तीन बेटे थे।

मनजीत की इच्छा को देखते हुए पिता उन्हें 1998 में 8 सिख रैजीमैंट अल्फा कम्पनी में भर्ती करवा दिया। सेना में भर्ती होने के करीब डेढ़ वर्ष बाद ही पाकिस्तान ने हमला बोल दिया और मनजीत सिंह की ड्यूटी कारगिल में लगा दी गई, जहां वे शहीद हो गए। 

टाईगर हिल में दुश्मनों के दांत खट्टे करते हुए शहीद
7 जून 1999 को टाईगर हिल में दुश्मनों के दांत खट्टे करते हुए वह शहीद हो गए। मां सुरजीत कौर ने बताया कि उन्होंने उसे बड़े चाव से भर्ती करवाया था ताकि वह अपनी इच्छानुसार देश सेवा कर सके। अविवाहित मनजीत सिंह के माता-पिता द्वारा उसके अच्छे भविष्य व शादी के सपने जो संजोए गए थे तथा वह मात्र सपने ही बनकर रह गए।