पोस्टमैट्रिक छात्रवृति घोटाले में मां-बेटी गिरफ्तार, दस्तोवेजों का मिस यूज कर किया घोटाला

1/10/2020 9:30:51 PM

यमुनानगर (सुमित): पंचकूला विजिलेंस की टीम ने यमुनागर में दो महिलाओं (आपस में मां-बेटी) को पोस्टमैट्रिक छात्रवृति घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक, 25 लाख के पोस्टमैट्रिक घोटाले में इन दोनों आरोपियों ने यमुनानगर के एससी, बीसी, वर्ग के 41 लड़कियों के आधार कार्ड, बैंक खातों के मिस यूज कर घोटाला किया है।

आरोपियों गिरफ्तारी के बाद पंचकूला विजिलेंज की टीम ने उन्हें यमुनानगर सीजेएम कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने दोनों ही आरोपी महिलाओं को दो दिन की रिमांड पर भेज दिया है। बताया जा रहा है कि इनके साथ ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चुरू, गाजियाबाद, रोहतक के कुछ लोग भी शामिल हैं। फिलहाल, पुलिस रिमांड के दौरान आरोपियों से पूछताछ के साथ कंप्यूटर, पैसे व अन्य सामान की रिकवरी करेगी।

ये है पूरा मामला
शुक्रवार को पंचकूला विजिलेंस की टीम ने यहां पर छापेमारी की। चोपड़ा गार्डन निवासी गुरदेव कौर व उनकी बेटी कृत्तिका को गिरफ्तार किया। जिला सहायक न्यायवादी अरूण दुग्गल ने बताया कि डीएसपी विजिलेंस की टीम दोनों आरोपितों को यहां पर लेकर आई थी। उनकी ओर से दस दिन का रिमांड मांगा गया, लेकिन दो दिन का ही कोर्ट ने दिया है। रिमांड के दौरान आरोपितों से कंप्यूटर व गाजियाबाद, रोहतक से भी कुछ रिकवरी करनी है। मां-बेटी एनजीओ चलाती हैं जो मूल रूप से पंजाब के मोहाली निवासी हैं। 

इन्होंने राजस्थान के चुरू की ओपीजेएस युनिवर्सिटी से सांठगांठ कर 41 छात्रों के एडमिशन दिखाए। इनकी छात्रवृत्ति के करीब 25 लाख रुपये हड़प लिए गए। जांच में यह भी सामने आया है कि इन्होंने जिन छात्रों के आधार नंबर व दस्तावेज दिए थे, उन्हें कोई पैसा नहीं मिला। मां-बेटी ने इन छात्रों के दस्तावेज वहां जमा कराए, लेकिन मोबाइल नंबर अपना दिया। इसके जरिए ही यह घोटाला हुआ। अब दोनों मां-बेटी को विजिलेंस की टीम अपने साथ लेकर गई है। इसमें कुछ और लोगों के नाम भी सामने आए हैं। 

यमुनानगर में कुछ इस तरह से हुआ पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला
यमुनानगर में 41 लड़कियों को ओपीजेएस, विश्वविद्यालय चूरू, राजस्थान में अलग-अलग कोर्सों में पढऩा दिखाकर छात्रवृत्ति ली गई। जबकि इन विद्यार्थियों ने बताया कि उन्होंने न तो कभी विश्वविद्यालय में पढ़ाई की और न ही कभी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया। रिपोर्ट के अनुसार एससी वर्ग के 28 बच्चों को एक वर्ष का कप्यूटर कोर्स फ्री में करावाया जाना बताकर उनसे उनके दस्तावेज लेकर जून, 2016 में गुरदेव कौर, उनकी बेटी रितिक सिंह व मयंक चौधरी निवासी ने इन सभी रीटा के जरिए इन 28 लड़कियों के खाते खोलने के लिए फार्म स्वयं भरकर यमुनानगर में पंजाब नेशनल बैंक में खाते खुलवाए। 

इनके खाते खुलवाने के बाद सभी एटीएम गुरदेव कौर ने अपने पास रख लिए। कुछ दिनों बाद उक्त तीनों रीटा व आठ लड़कियों को ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चूरू, राजस्थान लेकर पहुंचे, वहां उनसे एक फार्म पर हस्ताक्षर कराए। इसी दिन ये सभी वापस भी आ गए। रिपोर्ट में बताया कि गांव खेड़ा में एससी वर्ग की करीब 30-32 लड़कियों को सिलाई सेंटर खोलने, सिलाई सिखाने और सिलाई मशीन देने का लालच देकर उनके दस्तावेज ले लिए और उन्हें छात्रवृत्ति का झांसा दिया गया। 

इन सभी के खाते भी सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक और पंजाब नेशनल बैंक यमुनानगर में खाते खुलवाए। इसके बाद दस्तावेजों के आधार पर ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चूरू में अलग-अलग कोर्स में दाखिला दिखाकर विभाग ने छात्रवृत्ति ले ली। बताया गया कि इस बारे में यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार से रिकॉर्ड मांगा गया तो वहां से बताया गया कि ये एक साल तक वहां पढ़े हैं। जबकि जांच के दौरान ब्यूरो की टीम ने लड़कियों से बातचीत की तो उन्होंने ऐसे किसी यूनिवर्सिटी में कोर्स करने से इनकार कर दिया। 

जांच में सामने आया कि यूनिवर्सिटी के कुछ लोग, रोहतक, गुरदेव कौर, उसकी बेटी रितिक सिंह निवासी यमुनानगर व मयंक चौधरी निवासी गाजियाबाद, मुकेश कुमार गोबिंदगढ़, कुरुक्षेत्र ने मिलीभगत करके 41 लड़कियों का यूनिवर्सिटी में फर्जी दाखिला दिखाकर 25 लाख का गबन कर दिया।

केंद्र सरकार ने 1981 में छात्रवृत्ति योजना शुरू  की 
दरअसल, केंद्र सरकार ने 1981 में छात्रवृत्ति योजना शुरू की थी। 2015 तक इस योजना के लिए आवेदन ऑफलाइन किए जाते थे। इस दौरान ही वर्ष 2013-14 में एससी-बीसी वर्ग के छात्रों का दाखिला और स्कॉरलशिप सरकार से हासिल कर घपला किया गया। सन 2015 में राज्य सरकार को शिकायत की गई थी। 2016 में जब छात्रवृत्ति योजना ऑनलाइन की गई, तो जांच के दौरान पाया गया कि इस योजना के तहत पात्रों के आधार नंबर से छेड़छाड़ कर छात्रवृत्ति ट्रांसफर कराई गई।

छात्रों से आधार कार्ड, 12वीं का प्रमाणपत्र आदि दस्तावेज के जरिए युनिवर्सिटी में फर्जी दाखिले दिखा कर बैंक में खाता खुलवा दिया गया। एससी वर्ग के इन छात्रों की स्कॉलरशिप सीधा बैंक में आने लगी और बाद में शपथपत्र बैंक को देकर कहा गया कि स्कॉलरशिप का यह पैसा युनिवर्सिटी के खाते में जमा करा दिया जाए। शिकायत पर सरकार ने इसकी जांच विजिलेंस को दे दी। इस तरह से इस घोटाले में युनिवर्सिटी के भी कर्मचारी शामिल मिले। 

Shivam