अब बच्चों को नहीं सहना होगा बस्ते का बोझ, सरकार ने लागू किया नया नियम

11/27/2018 4:48:43 PM

पानीपत(अनिल कुमार): स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के शारिरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए मानव विकास संसाधन मंत्रालय ने स्कूल बैग के वजन बच्चों की दक्षता पर अलग अलग निर्धारित किया है। मंत्रालय की इस फैसले से स्कूली बच्चों के अभिभावकों में बहुत खुशी देखने को मिली है, क्योंकि उनके बच्चों के पीठ से बेवजह का भार कम होगा। अभिभावकों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए ऐतिहासिक बताया है।



सरकार के फैसले पर अभिभावकों ने खुशी जताते हुए कहा कि बच्चों का बचपन बस्ते के तले दबकर रह गया था। मानव विकास संसाधन मंत्रालय ने स्कूल बैग के बोझ की समय सीमा तय करके एक ऐतिहासिक फैसला किया है।



उन्होंने कहा कि बस्ते के बोझ के कारण बच्चों का शारीरिक विकास रुक रहा था आमतौर पर छोटी कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चों की पीठ पर उनकी उम्र और वजन से ज्यादा बस्ते का वजन होता है, जिसे ढोते-ढोते बच्चे पढ़ाई से तो ऊब ही जाते हैं, साथ ही उनका शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है। यही कारण है कि छोटे छोटे बच्चों की कमर में दर्द, डिप्रेशन, शारीरिक क्षमता का कम होना, पढ़ाई में दिल ना लगना, बच्चों के लिए एक सिर दर्द बना हुआ था। अभिभावकों का कहना है कि देखना ये हैं कि इस फैसले पर कितनी जल्दी सभी स्कूल लागू करते हैं।



बता दें कि मानव विकास संसाधन मंत्रालय द्वारा लिए गया फैसला यह है कि पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को गृह कार्य नहीं दिया जाएगा। पहली व दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों के बस्ते का वजन केवल डेढ़ किलोग्राम तक होना चाहिए। तीसरी से पांचवी तक के लिए 2 से 3 किलोग्राम, छठी सातवीं व आठवीं के लिए चार किलोग्राम, 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए 5 किलोग्राम वजन तय किया गया है।

Shivam