पूजा ने CWG में जीता सिल्वर, परिवार ने सुनाई बेटी के संघर्ष की कहानी

4/15/2018 12:43:52 PM

हिसार(विनोद सैनी): हरियाणा के हिसार की रहने वाली पूजा ढांडा ने कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर पदक हासिल कर प्रदेश ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन किया है। पूजा महज दो अंकों से गोल्ड लेने से वंचित रह गई जिसके कारण उसे सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। पूजा की जीत से परिवार में खुशी का माहौल है। परिजनों का कहना है कि बेटी के गोल्ड न लाने से थोड़ा दुख है लेकिन देश की झोली में सिल्वर डालना गर्व की बात है। 

2003 में शुरू किया था कुश्ती में प्रशिक्षण 
पूजा के पिता अजमेर ढांडा हिसार में राजकीय पशु फार्म में ट्रेक्टर के पद पर हैं। उन्होंने अपनी बेटी को 2003 में कुश्ती में प्रशिक्षण दिलाना शुरू किया था। वह रोजाना पूजा को साइकिल में छोड़ने के लिए जाते थे। पूजा रोजाना अपने भाई सुमित के साथ 4 घंटे प्रेक्टिस करती थी। जिसकी बदौलत पूजा ने राष्ट्रीय अौर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल हासिल किए हैं। परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी अोलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर लाएगी। 

पिता ने कहा- बेटी ओलंपिक में देश को दिलाएगी गोल्ड 
अजमेर ढांडा ने बताया कि पूजा ने पहले जूडो में भाग लिया अौर मेडल भी हासिल किया था। उसने पहली बार कुश्ती में महिला यूथ ओलंपिक का खिताब जीता था। जिसके बाद वह लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में मेडल हासिल करती रही। उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि वह स्वर्ण पदक लाएगी परंतु खेल में चूक कर गई फिर भी भविष्य में 2020 में होने वाले ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड लाएगी।

पिता की सरकार से मांग, बेटी को मिले प्रमोशन
अजमेर ने कहा कि पूजा देश के लिए रजत पदक लाई है। सरकार को उसकी प्रमोशन करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की अन्य महिला खिलाड़ी भी उससे प्रेरणा लेकर पदक जरुर लाएगी।

पूजा की माता की खिलाड़ियों को सलाह
पूजा की माता कमलेश ने महिला खिलाड़ियों को सलाह देते हुए कहा कि खेलों के दौरान खिलाड़ी के साथ कोई अच्छी या बुरी बात हो तो उसे अपने परिजनों से जरुरत बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेटियों पर जो अत्याचार करते हैं सरकार को उसके लिए सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए। पूजा की माता ने बताया कि उनकी इच्छा है कि अगले खेलों में वह स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन करे। 

पूजा को करना पड़ा काफी दिक्कतों का सामना
पूजा के पिता ने उसे प्रेक्टिस करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे पूजा को सर्दी-गर्मी में दिन में दो बार प्रेक्टिस करवाते थे। उन्होंने बताया कि पूजा को खेल की तरफ बढ़ावा देने के लिए रुपयों से भी काफी दिक्कतों का सामना करना पडा परंतु उन्होंने हर संभव  मदद की। अजमेर ने बताया कि कुश्ती खेलों को लेकर सामाजिक स्तर पर दिक्कतें आई लेकिन वे पीछे नहीं हटे। वे अपनी बेटी के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। परिवार के अन्य लोग कुश्ती खेल को पंसद नहीम करते थे। समाज के गणमान्य लोगों ने उन्हें सलाह दी थी कि अगर बेटी खेलने जा रही है तो आपको उसके साथ जाना होगा तभी वह तरक्की करेगी। वे अपनी बेटी के साथ सभी खेलों में गए हैं। 
 

Nisha Bhardwaj