म्हारी छोरियों का दम: पर्वतारोहण में सगी बहनों ने रचा इतिहास

6/21/2017 12:14:09 PM

सोनीपत:सोनीपत 2 सगी बहनों ने हाल ही में पर्वतारोहण की दुनिया में विश्व रिकार्ड बनाकर सोनीपत का नाम दुनियाभर में चमकाया है। इन बहनों ने 2 विश्व रिकार्ड बनाए हैं। एक निजी स्कूल में तीसरी कशा की छात्रा सूर्यस्संज्ञिनी चौधरी पिछले वर्ष सिक्किम स्थित 16,300 फीट ऊंचे कंचनजंघा बेस कैंप पर पहुंचने वाली विश्व की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बनी थी। इस बार सूर्यस्संज्ञिनी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना ही रिकार्ड तोड़ डाला। इस बार उसने अपनी पिछली ऊंचाई से 700 फीट और ऊपर जाते हुए उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय की बंदरपूंछ शृंखला की सबसे ऊंची चोटी काला नाग पर्वत के अग्रिम कैंप 2 पर तिरंगा फहराया है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 17000 फीट है। 

8 वर्षीय सूर्यस्संज्ञिनी 50 कि.मी. की अत्यंत कठिन ट्रैकिंग करते हुए उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद स्थित गोविंद राष्ट्रीय उद्यान के मध्य से काला नाग पर्वत के 17000 फीट ऊंचे कैंप 2 तक पहुंची। इस दौरान उसने माइनस 10 डिग्री तक के खून जमा देने वाले तापमान का सामना किया। 14 में से 5 दिन बर्फ पर ही टैंट लगाकर सोई और रस्सियों व अन्य तकनीकी उपकरणों का प्रयोग करते हुए बहुत ही दुर्गम और खतरनाक पहाड़ों, चट्टान भरे रास्तों व बर्फीली फिसलन भरी ढलानों को पार किया। इस नन्ही जांबाज ने इस 6 जून को सुबह 11.30 बजे इस कारनामे अंजाम दिया। उसने अपनी उपलब्धि को अपनी मां और अपने देश को समर्पित करते हुए अपने गंतव्य पर तिरंगा फहराया तथा राष्ट्रगान भी गाया। 

इतना नहीं सूर्यस्संज्ञिनी की बहन मनस्संज्ञिनी ने भी पीछे नहीं रही। पर्वतारोहण अभियान में सूर्यस्संज्ञिनी के साथ मनस्संज्ञिनी भी गई थी। कक्षा 7 की छात्रा मनस्संज्ञिनी का लक्ष्य था कि काला नाग पर्वत के अग्रिम कैंप 3 पर तिरंगा फहराया जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 18,000 फीट है। मनस्संज्ञिनी को भी पिछले वर्ष कंचनजंघा बेस कैंप पर पहुंचने वाली देश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही होने का गौरव प्राप्त हुआ था।

इस साल मनस्संज्ञिनी भी अपने नाम एक विश्व रिकॉर्ड करके लौटी है। उसी 6 जून को मनस्संज्ञिनी ने अपनी छोटी बहन को कैंप-2 पर छोड़ते हुए और 2 घंटे की ट्रैकिंग करते हुए दोपहर 1.30 बजे 18,000 फीट की ऊंचाई को प्राप्त कर अपना पिछले साल का रिकॉर्ड 1700 फीट से तोड़ डाला। कैंप-& को सम्मिट कैंप भी कहा जाता है क्योंकि यहां से पर्वतारोही 21000 फीट ऊंची काला नाग चोटी के शीर्ष के लिए प्रस्थान करते हैं। ऐसा करते हुए मनस्संज्ञिनी को तकनीकी ट्रैकिंग करनी पड़ी, बल्कि बर्फ के 50.50 फुट गहरे गड्ढों और 30.40 फुट ऊंची दीवारों से घिरे खतरनाक आइसफाल क्षेत्र को भी पार करना पड़ा। इस दौरान उसने माइनस 12 डिग्री तक के बर्फीले तापमान का सामना भी किया। जब दोनों बहनों से उनकी अभियान संबंधित तैयारी के विषय में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वे पिछले 2 महीनों से एन.सी.सी. की ट्रेनिंग ले रही थी। साथ ही वे निरंतर रूप से योग और ध्यान का अभ्यास भी करती रही हैं ताकि अपने मन और शरीर को इतनी विकट परिस्थितियों के लिए ढाल सकें। उन्होंने प्रण लिया था कि वह यह अभियान बिना किसी ड्रग्स या दवाइयों के पूरा करेंगी।