ये हैं वो 7 लोग जिन्होंने 'बलात्कारी' बाबा को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया

8/28/2017 8:28:46 PM

सिरसा: साध्वियों से रेप मामले में डेरा सच्चा सौदा राम रहीम पर सी.बी.आई. कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई है। 15 साल पुराने इस मामले में राम रहीम को दोषी ठहराना इतना आसान नहीं नहीं। बिना डरे साध्वियों, पत्रकारों अौर सी.बी.आई. अधिकारियों की जांच के कारण राम रहीम को दोषी करार देते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार), 506 (डराने-धमकाने) और 509 (महिला की इज्जत से खिलवाड़)  के तहत दोषी पाया गया है। जानिए, कौन है वे लोग जिनकी हिम्मत के कारण राम रहीम को दोषी पाया गया। 


साध्वियों का गुमनाम पत्र
2002 में एक साध्वी ने गुमनाम पत्र लिखकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से इस मामले की जांच की गुहार लगाई थी। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीआई को जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने जांच में उक्त तथ्यों को सही पाया और डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह के खिलाफ विशेष अदालत के समक्ष 31 जुलाई 2007 में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। डेरा प्रमुख को उक्त मामले में अदालत से जमानत तो मिल गई परंतु पिछले लंबे समय से मामला पंचकूला की सीबीआई अदालत में चल रहा था। जिस पर 25 अगस्त को राम रहीम को दोषी करार देते हुए सी.बी.आई. को विशेष जज जगदीप सिंह ने 20 साल की सजा सुनाई। 


स्व.रामचंद्र छत्रपति पत्रकार
मई 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने गुमनाम पत्र को पूरा सच अखबार में छापा था। जिसके बाद उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी जांच सी.बी.आई. को सौंपी थी। इसी दौरान ये मामला सभी के सामने आया था। इस पत्र को चापने के बाद 24 अक्तूबर 2002 में रामचंद्र को गोली मार दी थी जिसके बाद अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। 

जांच अधिकारी सतीश डागर और मुलिंजो नारायनना  
रामचंद्र द्वारा गुमनाम पत्र को पूरा सच अखबार में छापने के बाद इसकी जांच सी.बी.आई. को सौपी गई।जब सी.बी.आई. इस मामले में जांच कर रही थी तो उन पर भी उच्च अधिकारियों से लेकर राजनीतिक लोगों द्वारा दबाव बनाया गया लेकिन सी.बी.आई. के जांच अधिकारी सतीश डागर और मुलिंजो नारायनना ने किसी भी दवाब की परवाह किए बिना जांच जारी रखी थी। 


CBI जज जगदीप सिंह
न्यायप्रिय, सक्षम, कठोर और सटीक रवैया रखने वाले CBI जज जगदीप सिंह ने रेप केस में राम रहीम को दोषी करार कर 20 साल की सजा सुनाई। साल 2000 में पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी करने वाले जगदीप सिंह ने थोड़े ही समय में कानून की दुनिया में नया नाम हासिल कर लिया। साल 2012 तक वकालत करने के बाद सोनीपत में न्यायिक सेवा के अधीन काम करने के बाद उन्हें सीबीआई कोर्ट का जिम्मा सौंपा गया।