घर पर दोपहर का खाना नसीब न होने पर स्कूल में लिया एडमिशन, अब बनीं शतरंज चैंपियन

5/13/2017 11:54:29 AM

रेवाड़ी:ढालियावास गांव के प्राइमरी स्कूल में चौथी क्लास की स्टूडेंट वंदना शतरंज चैंपियनशिप में लगातार 2 बार जीत हासिल कर चुकी हैं। वंदना के पिता भूरेलाल मजदूरी और मां मंदो देवी घरों में काम करती है। माता-पिता के काम पर जाने के बाद   वंदना घर में भूखी रहती थी, जिसके चलते उन्होंने उसे स्कूल भेज दिया ताकि उसे दोपहर का खाना मिल सके। 

माता-पिता का कहना है कि जब उन्हें पता कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ भोजन भी मिलता है। तभी उन्होंने उसका स्कूल में एडमिशन करवा दिया। उन्होंने कहा कि तीसरी क्लास में जब वंदना पहुंची तो एक दिन उसने अपने टीचर जितेंद्र यादव को बेटे यश के साथ शतरंज खेलते हुए देखा। उसको देख वंदना का भी खेलने को मन किया। 

एक दिन यश अकेले शतरंज की प्रेक्टिस कर रहा था। वंदना ने अपने टीचर से खेलने की इच्छा जताई। दो तीन बार खेलने के बाद इस लड़की ने यश को हराया तो जितेंद्र यादव को हैरानी हुई। उसके बाद वंदना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यश इस खेल में स्टेट लेवल पर 3 बार जिले का प्रतिनिधित्व कर चुका है और वर्तमान में नवोदय स्कूल का स्टूडेंट है।

2016 में पहला गोल्ड मेडल जीता 
सबसे पहले उसने अगस्त 2016 में गांव मसानी के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हुई इस खेल की खंड स्तरीय प्रतियोगिता जीती। 2 माह बाद अक्टूबर में डिस्ट्रिक्ट लेवल में गोल्ड मेडल जीता। एक माह बाद नवंबर में करनाल में हुई स्टेट लेवल चैंपियनशिप में भाग लिया।

ओपन शतरंज चैंपियनशिप में जीता गोल्ड 
हाल ही में शहर में 6 मई को हुई ओपन शतरंज चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीत लिया। इसमें राज्य के कई जिलों के अलावा राजस्थान व दिल्ली से नेशनल खिलाड़ियों ने भी भाग लिया था। इस खिलाड़ी की पारिवारिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। स्कूल छुट्टी के बाद वह घर पर खुद खाना बनाती है।