पिता के विरोध के बाद भी नहीं छोड़ा खेलना, आज बनी है एशिया की बेस्ट गोलकीपर

7/12/2017 10:39:43 AM

सिरसा:हरियाणा के सिरसा जिले में जन्मी इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर सविता पूनिया का आज जन्मदिन है। आज सविता 27 साल की हो गई है। सविता के पिता उसे डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन उसकी जिद्द के कारण वह हॉकी गोलकीपर बन गई। सविता के जन्मदिन पर जानिए, उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें-

बहन ने हमेशा दिया साथ
सविता सिरसा जिले के गांव जोधकां में जन्मी व पली है। सविता का जन्म 11 जुलाई 1990 को हुआ था। इनके पिता महेंद्र पूनिया फार्मासिस्ट हैं। मां लीलावती हाउसवाइफ हैं तो भाई भविष्य बी-टैक के बाद कंप्यूटर शॉप चला रहे हैं। स्कूलिंग के दौरान ही सविता का खेलों की ओर रुझान हो गया था। सविता स्कूल से पढ़कर घर वापस आती और अपने खेत के टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर डंडे के सहारे खेलती थी। इस खेल में उसकी चचेरी बहन मंजू ने भी हमेशा उसकी मदद की। दो-तीन साल बाद ही कमर दर्द की वजह से मंजू ने भी सविता का साथ छोड़ दिया। वह अब पोस्ट ग्रेजुएट हैं और शादी की तैयारियां चल रही हैं।

पिता बनाना चाहते थे डॉक्टर
पिता महेंद्र पूनिया बेटी को डॉक्टर बनाना चाहते थे। सविता की खेल प्रतिभा को पहचान तत्कालीन प्राइमरी स्कूल के हेड टीचर दीपचंद कंबोज और डीपी केवल कंबोज ने महेंद्र पूनिया को सलाह दी कि वह सविता को खेल की तरफ ध्यान देने दें। महेंद्र पूनिया ने कोच की सलाह अच्छी नहीं लगी और विरोध जताया। इसके साथ ही सविता को पढ़ाई में ध्यान देने की बात कही, ताकि वह मेडिकल की पढ़ाई के लिए तैयार हो सके। सविता ने फिर भी खेलना नहीं छोड़ा, धीरे-धीरे बेटी के हौसले बढ़ते चले गए और खेलों में सविता की उपलब्धियों को देखते हुए महेंद्र पूनिया ने भी खेल के क्षेत्र में अग्रसर होने की इजाजत दे दी। नतीजतन सविता अब न सिर्फ भारतीय हॉकी टीम का अहम हिस्सा हैं, बल्कि एशिया कप राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पांच से छह बार बेस्ट गोलकीपर चुनी जा चुकी हैं। इन दिनों दक्षिण अफ्रीका में तैयारी कर रही हैं। उनका उद्देश्य कॉमनवेल्थ गेम्स, अगले साल हो रहे हॉकी वर्ल्ड कप और 2020 में होने वाले ओलिंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है। पिता की मानें तो सविता एक दिन के लिए दिसंबर में घर आएगी उसके बाद फिर अभ्यास कैंप में चली जाएगी।

सविता पूनिया की उपलब्धियां
पिछले तीन साल सविता के लिए बहुत ही अहम रहे। इस दौरान सविता ने इंटरनेशनल मैचों का शतक पूरा किया। अक्टूबर 2014 एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता तो एशिया की बेस्ट गोलकीपर बनने का मौका मिला। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका में जून 2006 में आयोजित चार देशों की स्पार कप प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। कजाख रसिया में वर्ष 2009 में आयोजित प्रथम महिला चैलेंज्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। अमेरिका में वर्ष 2009 में आयोजित अंडर-21 जूनियर वर्ल्ड कप में देश का प्रतिनिधित्व किया। बैंकॉक में वर्ष 2008 में आयोजित सातवें एशिया कप में रजत पदक जीता। जर्मनी में वर्ष 2010 में आयोजित चार देशों की प्रतियोगिता में कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। अर्जेंटाइना में वर्ष 2011 में आयोजित चार देशों की प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। दिल्ली में फरवरी, 2013 में आयोजित वर्ल्ड लीग-राउंड-2 में स्वर्ण पदक जीता। मलेशिया में सितंबर, 2013 में आयोजित एशिया कप में कांस्य पदक हासिल किया। अप्रैल 2017 में भारतीय महिला हॉकी टीम ने महिला हॉकी वर्ल्ड लीग राउंड-2 के फाइनल मैच में चिली को हरा दक्षिण अफ्रीका या वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई किया तो सविता फिर से बेस्ट गोलकीपर रहीं।