फरीदाबाद में अरावली की खूबसूरत वादियों में बनी खूनी झील की पूरी कहानी (VIDEO)

7/3/2018 5:11:30 PM

फरीदाबाद(अनिल राठी): गूगल पर सर्च कर यदि आप फरीदाबाद की खूनी झील (डैथ वैली) झील में नहाने की सोच रहे हैं, तो एक बार इस खबर को ध्यान से पढ़ लीजिए। पंजाब केसरी की पड़ताल के मुताबिक स्थानीय निवासियों ने बताया कि इस झील में और इसके आस-पास बनी झीलों में 65 से 70 लोग जिंदगी गंवा चुके हैं। ताजा मामला रविवार का है जब फरीदाबाद की जवाहर कॉलोनी के ही रहने वाले चार दोस्त इस झील में नहाने के लिए गए और उनमें से एक दोस्त की डूबने से मौत हो गई। हालांकि जिला प्रशासन ने यहां आने वाले लोगों को सचेत करने के लिए साईन बोर्ड भी लगाए हैं, लेकिन शरारती तत्वों ने उन बोर्डों को भी तोड़ दिया है।



झील डैथ वैली के नाम से भी मशहूर
फरीदाबाद की अरावली की पहाडिय़ों में बनी ये झील डैथ वैली के नाम से भी मशहूर है। यह झील हमेशा से सुर्खियों में रही है। इस झील के आस पास भी अप्राकृतिक रूप से कई झीलें हैं। आए साल किसी ना किसी की डूबने से यहां मौत हो जाती है। अभी 2 दिन पहले भी दिल्ली निवासी 2 युवकों की इसी झील में डूबने से मौत हो गई थी और फिर बीते रविवार को फिर से एक युवक की जिंदगी इसी झील ने छीन ली है। 

सेल्फी लेते वक्त युवक झील में गिरा, मौत
दरअसल, फरीदाबाद की जवाहर कॉलोनी निवासी 4 युवक रविवार की छुट्टी होने के चलते इस खूनी झील में नहाने गए थे। नहाने से पहले झील के किनारे खड़े होकर सैल्फी खींचने लगे लेकिन अचानक ही एक युवक का पैर फिसल गया और सीधा झील में गिर गया, लेकिन गिरते वक्त उसने दूसरे युवक का पैर पकड़ लिया जिससे दूसरा युवक भी झील में जा गिरा। मौके पर खड़े उसके साथियों ने शोर मचाया तो आसपास मौजूद स्थानीय लोगों ने झील में डूब रहे एक युवक को बचा लिया, लेकिन दूसरे युवक को नहीं बचाया जा सका।

यहां मौज मस्ती के लिए शराब आदि का सेवन 
इस घटना के बाद पंजाब केसरी की टीम उसी डेथ वैली झील को खोजते हुए फरीदाबाद में अरावली की पहाडिय़ों में कच्चे रास्ते से होते हुए कई किलोमीटर अंदर झील तक पहुंची। झील को पहाडिय़ों से देखा गया, जो काफी सुन्दर दिखाई दे रही थी। जिसके बाद टीम पथरीले रास्ते से होते हुए नीचे झील के किनारे पहुंची, रास्ते में कुछ शराब और बियर की खाली बोतलें भी देखने को मिली।

नशे में डूबकर चले जाते हैं मौत के मुंह में 
शराब व बियर की बोतलों के मिलने से साफ़ जाहिर होता है कि जो लोग यहां आते हैं, वे मौजमस्ती के लिए आते हैं, और नशा करके इस झील में उतरते हैं।  इसी के चलते इस झील में उतर कर काल के गाल में आसानी से समा जाते हैं। टीम की पड़ताल के दौरान झील में कुछ नौजवान युवकों को मौजमस्ती करते पाया गया, जो दूर दराज से यहां आकर नहाने का लुत्फ़ उठाते हुए मौजमस्ती कर रहे थे।

वर्ष 1990 में खनन बंद होने पर बनी झील
एक स्थानीय युवक श्याम भड़ाना ने उन्होंने हमें बताया कि वर्ष 1990 इस अरावली की पहाडिय़ों में सरकार ने खनन पर रोक लगा दिया। जिसके बाद इस झील में पानी एकत्रित हो गया, जिसके बाद कुछ युवक यहां आकर नहाने लगे तभी से यहां नहाने का सिलसिला चलता आ रहा है, लेकिन इस झील की गहराई का अंदाजा दूर दराज से आए लोगों को नहीं होता, इसलिए बहुत से लोगों की इस झील में डूबने से मौत हो हो जाती है।



ग्रामीणों ने रोकना-टोकना किया बंद
ग्रामीण श्याम भड़ाना के मुताबिक़ प्रशासन और ग्रामीण यहां आने वाले लोगों को सचेत करते रहते हैं। प्रशासन ने बाकायदा चेतावनी बोर्ड भी लगाए लेकिन यहां आने वाले कुछ शरारती तत्व उन्हें तोड़ देते हैं। पिछले साल यहां घूमने आए जेएनयू के छात्र-छत्राएं नहाने आ रहे थे, जिन्हें सचेत करने पर उन्होंने ग्रामीणों की पुलिस से शिकायत कर दी। तब से ग्रामीणों ने भी अब यहां आने वाले लोगों आने वालों को रोकना-टोकना बंद कर दिया। अबतक यहाँ 65 से 70 मौतें हो चुकी हैं।

पुलिस के पास भी नहीं मौतों का आंकड़ा
वहीं इस बारे में स्थानीय पुलिस थाने सूरजकुंड के एसएचओ ने बताया कि उनकी तरफ से लोगों को सचेत करने और रोकने के लिए आस पास के लोगों को अवेयर किया जाता है और झील के बारे में साईन बोर्ड भी लगाए गए हैं। उन्होंने हमें बताया की ये आंकड़ों अभी उनके पास नहीं है डिटेल निकाल कर ही सही बताया जाएगा कि कितने लोगों की मौतें यहां हो चुकी हैं।

Shivam