हॉट सीट बनी जींद विधानसभा, भाजपा कांग्रेस और जजपा में होगा त्रिकोणीय रण

1/10/2019 7:58:09 PM

जींद: हरियाणा की जींद विधान सभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर हरियाणा की सियासत सुर्खियों में आ गई है, क्योंकि यहां चुनाव में उतरने वाली पार्टियों नेएक से बढ़कर एक पासे फेंके हैं, जो एक दूसरे को कांटे की टक्कर दे सकते हैं। हालांकि यह तो जींद की जनता को तय करना है कि वह 'जीत का हार' किसे पहनाती है। कांग्रेस व जजपा ने जाट कार्ड खेलते हुए रणदीप सिंह सुरजेवाला व दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा, वहीं भाजपा ने इनेलो के गढ़ में उसके वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए दिवंगत पूर्व विधायक हरिचंद मिड्ढा के बेटे पर दांव खेला है।



वैसे तो जींद उपचुनाव में अन्य पार्टियों इनेलो, एलएसपी ने भी अपनी ओर से तय किए गए शूरवीरों को उतारा है। इनेलो ने अपना चुनावी लड़ाका जिला परिषद के वॉइस चेयरमैन उमेद सिंह रेढू को तय किया, जो बुधवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन भर चुके थे, लेकिन वीरवार को उन्होंने अभय से हाथ मिला लिया। वहीं लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी की ओर से विनोद आश्रि को प्रत्याशी बनाया है और उनका नामांकन भरवाने के लिए खुद सांसद सैनी जींद पहुंचे थे।

कैसे होगा भाजपा कांग्रेस व जजपा के त्रिकोणीय रण?
यदि भाजपा, कांग्रेस व जजपा के त्रिकोणीय रण की चर्चा करें तो विचरित तथ्य यह निकल कर आते हैं कि तीनों ही पार्टियों के उम्मीदवार जबरदस्त प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला जो कैथल से मौजूदा विधायक  भी हैं, उन्हें यहां जाटों के वोट को खींचने के लिए कांग्रेस ने उतारा है, क्योंकि जींद में करीब 1.30 लाख से अधिक वोटों में करीब 50 हजार वोट जाटों के हैं,जिसके लिए कांग्रेस ने सुरजेवाला को मैदान में उतारना जरूरी समझा। वहीं सुरजेवाला की लोकप्रियता का भी असर पड़ सकता है, क्योंकि वे इनेलो के दिग्गज नेता ओम प्रकाश चौटाला को दो बार मात दे चुके हैं।



जजपा यानि जननायक जनता पार्टी के उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला जिनके लिए विधानसभा चुनाव लडऩे का यह पहला मौका है। लोकप्रियता इनकी भी कम नहीं है, छात्रों संगठन इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते युवाओं के वोट पर ये कुछ ज्यादा ही असर कारक हो सकते हैं। वहीं नवनिर्मित जजपा जिसके दावे चौधरी देवीलाल चौटाला के उसूलों पर चलने के हैं, ऐसे में जजपा प्रत्याशी दिग्विजिय चौटाला जाट व किसान वर्ग पर भी असरकारी हो सकते हैं।



वहीं भाजपा के उम्मीदवार कृष्ण मिड्ढा जिनके पिता का देहांत ही जींद उपचुनाव का कारण बना, वे इनेलो के लिए वोटबैंक थे, लेकिन नवंबर में कृष्ण मिड्ढा के भाजपा ज्वाईन करने के बाद से इनेलो का यह वोटबैंक का अधिकतर हिस्सा भाजपा के पाले में आएगा। वहीं भाजपा जाति-पाति के नाम पर राजनीति न करने के दावों को लेकर गैरजाट कार्ड खेलने के लिए कृष्ण मिड्ढा को जींद मैदान में उतारा। हालांकि इसके संकेत मुख्यमंत्री मनोहर पहले ही दे चुके थे।

इन तीन उम्मीदवारों में आपसी टक्कर तो तय बताई जा रही है। फिलहाल, यह तो समय बताएगा और जनता तय करेगी कि कौन कितने पानी में है। यह तो सिर्फ विचार हैं, जिन्हें आपके समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है।

Shivam