वेलकम 2020: हरियाणा की राजनीति में इन राजनैतिक हस्तियों के लिए संघर्षपूर्ण रहा साल 2019

1/1/2020 7:16:15 PM

चंडीगढ़ (धरणी): जो कभी नए साल की तरह आया था, वह भी अब पुराना साल होकर बीत गया है, लेकिन यह साल हर किसी को कुछ न कुछ देकर ही गया है फिर चाहे वह गम हो या दुख हो। हालांकि यह साल 2019 हरियाणा में कई राजनीतिक हस्तियों के लिए काफी संघर्षपूर्ण रहा, जिनमें पहला नाम सीएम मनोहर लाल खट्टर का आता है इसके साथ ही मंत्री अनिल विज, विपक्ष के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस नेत्री कुमारी सैलजा के साथ उप मुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला व कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला व इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला, रंजीत सिंह के लिए यह साल चुनौतीपूर्ण रहा।

आईए जानते हैं किसने किस चुनौती का किया सामना...

मनोहरलाल खट्टर ( हरियाणा के मुख्यमंत्री) -


हरियाणा में 2014 में बीजेपी पहली बार सत्ता में आई। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल बने। पांच वर्ष हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी 2019 में मनोहरलाल के नेतृत्व में "अबकी बार -75 पार "के नारे से मैदान में उतरी। चुनाव परिणाम आए तो बीजेपी 40 सीटों तक सिमित रह गई। एक बार फिर से मनोहरलाल के नेतृत्व में सरकार बनी, लेकिन आजाद व जेजेपी की बैशाखी पर। मुख्यमंत्री के रूप में मनोहरलाल की दूसरी पारी की शुरूआत हुई। मनोहरलाल करनाल विधानसभा से लगातार दूसरी बार जीते। बीजेपी राष्ट्रीय नेतृत्व खासकर बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष व् केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खुले समर्थन व विश्वास के चलते मनोहर ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री बने, जिनकी मुख्यमंत्री के रूप में लगातार दूसरी बार शपथ हुई। मनोहरलाल की अपनी छवि ईमानदार व मजबूत होने के कारण विरोधी उनके खिलाफ मुद्दे ढूंढऩे में नकामयाब रहे।

अनिल विज (गृह, स्वास्थ्य व निकाय मंत्री )-


अनिल विज  छठी  बार जित कर विधानसभा में पहुंचे। बीजेपी के अनेको दिग्गज कैप्टन अभिमन्यु, ओम प्रकाश धनखड़, सुभाष बराला सहित 9 लोग चुनाव हार गए। विज ने अम्बाला कैंट से लगातार्जित का सिलसिला जारी रख साबित कर दिया कि ईमानदारी, बेबाकी व निष्पक्षता से काम करने वालों को जनता पसंद करती है। मनोहर पार्ट दो सरकार में उन्हें गृह व निकाय जैसे बड़े ऐसे दो विभाग और मिले जो सीधे जनता से जुड़े हुए हैं। 1996 में गृह मंत्री मनीराम गोदारा आखरी बार गृह मंत्री बंसीलाल सरकार में बने थे। 23 वर्षों बाद बीजेपी सरकार पार्ट -2 में अनिल विज को गृह मंत्रालय मिला है। अनिल विज ने फिलहाल पुलिस में ऑपरेशन शुद्धिकरण शुरू किया है।

दुष्यंत चौटाला (उपमुख्यमंत्री)- 


इनेलो से अलग होकर अपनी नई पार्टी जेजेपी का गठन करने के बाद विधानसभा चुनावों में ऐसे चेहरों जिन्हें टिकट उनके दलों ने नहीं दी तथा विनिंग कैंडिडेट को लपकने का काम कर 10 विधायकों की जीत से जेजेपी सत्ता का केंद्र बनी। उपमुख्यमंत्री के रूप में दुष्यंत चौटाला ने शपथ ली। मात्र 11 महीने के सफर व संघर्ष में जेजेपी को सत्ता में भागीदारी में सबसे अहम भूमिका "दुष्यंत -दिग्विजय "की जोड़ी की रही। दोनों भाईयों ने 11 महीने में पार्टी को खड़ा कर दिया व लगभग हर चुनाव में दिग्विजय चौटाला ने खुद पार्टी के झुझारू होने नींव रखी।

भूपिंदर सिंह हुड्डा (नेता प्रतिपक्ष)-


हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता व् पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के लिए वर्ष 2019 राजनैतिक ताकत देने वाला रहा। कांग्रेस में उनके राजनैतिक सम्मानीय प्रतिद्व्न्दी अशोक तंवर से प्रदेश अध्यक्ष का पद गया, जो कुमारी शैलेजा को मिला। विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की ताकत हरियाणा में हुड्डा को मिली। फलस्वरूप कांग्रेस को 31 सीटें मिली। नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी भूपिंदर सिंह हुड्डा को मिली। हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा का दबदबा एक बार फिर स्थापित हुआ।

कुमारी शैलेजा (प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष )-


अशोक तंवर की प्रदेशाध्यक्ष पद से छुट्टी लोकसभा चुनावों के बाद होते ही कुमारी शैलेजा को प्रांतीय अध्यक्ष की कमान मिल गई। शैलेजा ने कोशिश की है कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म करके सभी को साथ लेकर चलने की। कांग्रेस क्योंकि प्रमुख विपक्षी दल है इसलिए संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका अगले वर्षों में रहने वाली है। प्रांतीय संगठन के गठन को ले कर भी कम चुनौतियां नहीं हैं। सभी गुटों को साथ लेकर चलना सबसे बड़ी चुनौती है।

रणदीप सिंह सुरजेवाला (मीडिया प्रमुख राष्ट्रीय कांग्रेस)-


कांग्रेस के दिग्गज नेता इस वर्ष में दो चुनाव हारे 7 पहले चुनाव तो वह जींद उपचुनाव व दूसरे विधानसभा चुनावों में कैथल से हारे। रणदीप सुरजेवाला भले ही यह दो चुनाव हारे मगर कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण बनी रही। राजीव गांधी व सोनिया गांधी दोनों के द्वारा उन्हें मीडिया प्रमुख राष्ट्रीय कांग्रेस रखा गया। रणदीप सुरजेवाला की हरियाणा में हुई हार से कई कांग्रेसी गुट भले ही प्रसन्न नजर आये हों मगर रणदीप के कुशल वक्ता होने का लाभ उनका कद राष्ट्रीय कांग्रेस में मजबूत रखे हुए हैं।

अभय सिंह चौटाला (इनेलो नेता)-


इनेलो विधायक अभी सिंह चौटाला वर्ष 2019 ने हुए चुनावों में एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो की विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 2019 की शुरुआत से ही इनेलो का टूटना शुरू हो गया। बीजेपी पार्ट वन सरकार के कार्यकाल में नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला के सभी विधायक साथी दलबदल में जुट गए। ज्यादातर बीजेपी की तरफ भागे। मनोहर पार्ट दो सरकार में विधानसभा में अकेले विधायक होने के बावजूद अपनी उपस्थिति अपने डीएम पर दर्ज करवाने में अभी सफल रहे। 

रंजीत सिंह (बिजली व जेल मंत्री)-


चौधरी देवीलाल के पुत्र रंजीत सिंह 1987 में पहली बार मंत्री बने,उसके बाद चुनाव नहीं जीत पाए। इस बार कांग्रेस ने उनसे धोखा किया तो उन्होंने आजाद चुनाव लड़े व जीत गए। निर्दलीय विधायक के रूप में  रंजीत सिंह ने मनोहरलाल खटटर से प्रभावित होकर उन्हें खुला समर्थन दिया, जिसका इनाम भी उन्हें मिला। निर्दलीय विधायकों में से एक मात्र रंजीत सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उन्हें बिजली व् जेल मंत्रालय मिला है, मधुर भाषी रंजीत सिंह देवीलाल परिवार व संगठन की राजनीति से दूरी तब बना गए थे जब संगठन पर उनके बड़े भाई ओमप्रकाश चौटाला का कब्जा हो गया था।

Shivam