हाईकोर्ट का आदेश : परी और कविता 1 अक्बटूर को डीएनए टेस्ट के लिए देंगी खून
punjabkesari.in Tuesday, Sep 29, 2015 - 11:14 PM (IST)

पानीपत, (संदीप) : परी को मां की गोद दिलाने के लिए हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई जिसमें परी और कविता का 1 अक्बटूर को डीएनए टेस्ट करवाने के आदेश जारी किए गए हैं। 28 सितम्बर को कविता और उसके परिजन चंडीगढ़ पीजीआई में डीएनए करवाने के लिए नहीं पहुंचे थे। फिर प्रशासन हाई कोर्ट में दलील देने के लिए दोनों कविता और परी का ब्लड सैंपल दिया था। मंगलवार को उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई में कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि परी और महिला कविता( शिकायतकर्ता) को डीएनए टेस्ट 1 अक्टूबर को होगा। इस बारे में पुलिस जल्द ही कविता के परिजनों को नोटिस जारी करेगी।
शहर में कविता के परिजनों द्वारा 28 सितम्बर को डीएनए टेस्ट के लिए उपलब्ध न होने के कारण विभिन्न प्रकार की चर्चा व्याप्त रही। हर कोई मामले का अपने-अपने तरीके से व्याख्यान कर रहा था। विभिन्न संस्थाओं की नजर 28 सितम्बर पर टिकी हुई थी। लेकिन कविता के परिजनों के द्वारा ब्लड सैंपल देने से इंकार करने के बाद संस्थाओं और डाक्टरों में नाराजगी देखी गई। अब जब हाई कोर्ट ने 1 अक्टूबर को दोबारा परी और कविता का डीएनए टेस्ट करवाने के लिए ब्लड सैंपल लेने के आदेश पारित किए तो दोबारा सभी की निागहें 1 अक्तुबर पर टिकी है।
कविता (शिकायतकर्ता) के ससुर राजबीर सिंह का कहना है कि पिछलें तीन महीनें से भी अधिक समय से प्रशासन और डाक्टर सभी को गुमराह कर रहे हैं। डाक्टरों और प्रशासन के मन में चोर है तभी तो पहले प्रशासन डीएनए टेस्ट के लिए मधुबन लैब पर अड़ा रहा और अब उनके मामले में दो और कविता नाम की महिलाओं को खींचा गया है। उन्होंने कहा कि अगर उनको न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़ा तो खटखटाऐंगे। लेकिन वह अभी हाई कोर्ट के आदेशों की पालना करेंगे और 1 अक्टूबर को परी और कविता का डीएनए टेस्ट करवाएंगे।
कांग्रसी नेता बोले:
वहीं परी के मामले में सरकार और प्रशासन की लापरवाही के कारण 104 दिनों से मां के आंचल से दूर परी के बारे में कांग्रेसी नेता रमन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पानीपत से बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत की गई थी, जिस पर सरकार ने करोड़ो रूपए खर्च कर दिये, लेकिन अभियान को जमीन पर उतारने में कामयाब नहीं हुए। प्रशासन एक नन्हीं सी परी को न्याय तक नहीं दिला पाया और एक परिवार के सामने नतमस्तक दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे कैसे बचेगी बेटी और कैसे पढ़ेगी बेटी।
डीएनए टेस्ट तो करवाना ही पड़ेगा
बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओं अभियान के पदाधिकारी अशोक छाबड़ा ने कहा कि कविता के परिजनों को नन्हीं सी परी को न्याय दिलाने के लिए चंडीगढ़ या कही और ब्लड सैंपल तो देना ही पढ़ेगा। छाबड़ा ने कहा कि उनकी टीम हर हाल में परी को न्याय दिलाएगी और अगर प्रशासन मामले में लापरवाही बरतेगा तो प्रशासन के खिलाफ भी ठोस कदम उठाए जाऐंगे। प्रदेश में वो कहीं भी बेटियों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।
ये है माजरा-
17 जून को सिविल अस्पताल में कविता नाम की दो महिलाओं ने एक बच्चें और एक बच्ची को जन्म दिया। डाक्टरों ने बच्चें को कविता निवासी नैन गांव को दे दिया। जबकि कविता पत्नी अमित इस बात का दावा करती रही कि उसने बेटे को जन्म दिया है। कविता पत्नी अमित निवासी रामनगर ने बच्ची को अपनाने से इंकार कर दिया। मामला पुलिस तक पहुंचा पुलिस दो तीन बार मधुबन लैब से और अब चंडीगढ़ से डीएनए लैब से टेस्ट के लिए तारीख ले चुकी है। लेकिन कविता मधुबन से डीएनए टेस्ट न करवाकर चंडीगढ़ या दिल्ली की मांग पर अड़ी हुई थी। लेकिन 28 सितम्बर को भी कविता डीएनए टैस्ट के लिए उपलब्ध नहीं हुई। इस के चलते परी पिछलें 104 दिनों से मां के आचंल का इंतजार कर रही है।