सौंधापुर में... हेमू की समाधि या ईमाम साहब का मकबरा?

10/2/2015 11:05:38 PM

पानीपत, (सरदाना) : गांव सौंधापुर में पानीपत की दूसरी लडाई के महान वीर और दिल्ली सल्तनत के बादशाह हेमचंद्र विक्रमादित्य की समाधि स्थित है या फिर अरब देश से आए बडे ईमाम साहब अबु कासिम की दरगाह। यह मामला अब तूल पकडता दिखाई देने लगा है। पंजाब केसरी द्वारा मामले को प्रमुखता से उठाए जाने और मामले की जानकारी प्रशासन तक पहुंचाए जाने के बाद अब शहरवासियों ने इस मामले में दिलचस्पी दिखाना शुरु कर दिया है। 

पानीपत के कुछ आरटीआई. कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में एक बयान जारी करके कहा है कि जिस स्थान पर बदुरे आलम की दरगाह का जिक्र किया जा रहा है, वही स्थान वास्तव में हेमचंद्र विक्रमादित्य की समाधि है। उन्होंने कहा कि इतिहास में भी इस संबंध में पूरी जानकारी मौजूद है। शहरवासियों ने जिला प्रशासन से इस धरोहर को बचाने और मामले की जांच गंभीरता से करवाए जाने की मांग की है।
 
 आरटीआई. कार्यकर्ता आए आगे
पानीपत की दूसरी एेतिहासिक लडाई साल 1556 में पानीपत की धरती पर लडी गई, इस बात को सभी जानते हैं। इतिहास में लिखित तौर पर प्रमाणित है कि दिल्ली के बादशाह हेमचंंद्र व अकबर के बीच लडी गई इस लडाई में हेमू की हार हुई थी और उन्हें यहीं पर मौत के घाट उतारा गया था, गर्दन काट कर उनका वध किया गया था। इतिहास से संबंधित लेख बोलते हैं तो इतिहासकार बताते भी हैं कि हेमू की समाधि पानीपत में ही बनाई गई थी और कई सौ साल तक हेमू की समाधि पर लोग पूजा अर्चना करते आए, दिया जलाते आए। आरटीआई. कार्यकर्ता सुरेश कुमार, सुभाष चन्द, प्रमोद कुमार, प्रीतम सिंह आदि ने बताया कि इस समाधि के बारे में इतिहास में पूरी जानकारी अंकित है। कुछ साल पहले हिमाचल के राज्यपाल ने भी यहां का दौरा किया था और हेमू की मजार के बारे में पूरी जानकारी हासिल करते हुए इसकी रेनोवेशन करवाने की बात भी कही थी। सुरेश कुमार व अन्य आर.टी.आई. कार्यकत्र्ता कहते हैं कि इसी विषय पर शोध करने वाले कमल कुमार यादव रेवाडी से यहां पर पहुंचे और उन्होंने भी इस बात का पुख्ता किया कि हेमू की समाधी गांव सौंधापुर में ही बनाई गई थी, लेकिन आज इसी स्थान पर बदुरे आलम बडे ईमाम अबु कासिम की दरगाह होने का दावा किए जाने के साथ ही कभी भी हेमू की समाधि होने तक से इंकार किया जा रहा है। 
इन कार्यकर्ताओं  का कहना है कि एक बडी साजिश के तहत इस काम को अंजाम दिया गया है।  जो लोग इस काम को करने में जुटे हैं, उनकी मंशा अच्छी प्रतीत नहीं होती है। क्षेत्र निवासी अमरनाथ, अनिल कुमार, बलकार सिंह, सोमपाल, दर्शन लाल, सुमीत कुमार, बनवारी लाल आदि ने भी जिला प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच करवाई जाए और हेमू की समाधी को अबु कासिम साहब की दरगाह बताने वालों की मंशा क्या है, इसकी जानकारी हासिल की जाए।