पुरानी शूगर मिल से जूझ रहे किसान व अधिकारी, नहीं पकड़ पा रही रफ्तार

1/20/2019 2:43:32 PM

पानीपत (राजेश): पानीपत शूगर मिल अब धीरे धीरे हर वर्ष जवाब सा देने लगी है। जिस कारण हर वर्ष किसानों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। वहीं पर पुरानी मशीनगिरी होने के कारण अधिकारी भी परेशान होने लगे हैं क्योंकि शूगर मिल में इस वर्ष फाल्ट ज्यादा ही आने लगे हैं। इस कारण शूगर मिल को बंद करना पड़ता है और गन्ने की क्रशिंग रुक जाती है। शनिवार को भी शूगर मिल में तकनीकी खराबी आने के कारण कई घंटे बंद रही, इसके बाद शूगर मिल एम.डी. ने स्वयं इंजीनियरों के साथ खड़ा होकर फाल्ट को ठीक करवाया गया। इससे पहले शूगर मिल बंद होने के कारण किसानों में भी रोष की भावना पनप रही है।

59 दिन में हुई 8 लाख 71 हजार किं्वटल गन्ने की पिराई : पानीपत शूगर मिल प्रदेश के सभी सहकारी शूगर मिलों में सबसे ज्यादा पुरानी हैं। जो कि 1956 में बननी शुरू हुई थी और 1957 में पहली बार मिल का पिराई सत्र शुरू हुआ था। शूगर मिल की मशीनरी पुरानी होने के साथ साथ मशीनों में फाल्ट आ रहा है और पिराई बाधित होने से इसका खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। वहीं पर 63वें पिराई सत्र में 30 लाख किं्वटल गन्ना पिराई का लक्ष्य रखा गया है और इस सत्र में मिल को चले हुए 59 दिन हो चुके हैं और 8 लाख 71 हजार किं्वटल गन्ने की पिराई की जा चुकी है।

मिल में चीनी की रिकवरी भी औसतन 10.20 के आसपास चल रही है। अधिकारियों के अनुसार शूगर मिल द्वारा किसानों को 15 दिसम्बर तक की पेमैंट दी जा चुकी है। आगे भी पेमैंट संबंधी किसानों को कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। वहीं पर शूगर मिल बंद होने दर्जनों किसान एम.डी. संदीप अग्रवाल से मिलें और किसानों ने डाहर में लगने वाली नई शूगर मिल, सरप्लस गन्ने का समाधान, पेमैंट व फाल्ट आदि समस्याओं को लेकर बातचीत की।

Deepak Paul