CM खट्टर ने किया राष्ट्रसंत मुनि तरुण सागर के ''कड़वे प्रवचनों'' का प्रमोचन

4/28/2016 4:25:15 PM

पानीपत(आशु): प्रदेश सरकार के राजकीय अतिथि व कड़वे प्रवचनों के लिए क्रांतिकारी राष्ट्रसंत मुनि तरुण सागर महाराज ने कहा कि आरक्षण पार्टियों के हित में तो हो सकता है मगर देश के हित में कतई नहीं। लंबी रेस के तेज घोड़े को उसके अधिकारों से वंचित करके गधे को आगे लाने का काम ही आरक्षण है। यह आरक्षण रूपी सांप योग्य प्रतिभाओं को दिन-प्रतिदिन डस रहा है अगर 90 प्रतिशत वाले चपड़ासी और 40 प्रतिशत वाले अधिकारी बनेंगे तो इस देश का भविष्य क्या होगा। सोच सकते हैं हमें आरक्षण मुक्त भारत चाहिए।

उक्त बातें तरुण सागर महाराज ने 5 दिवसीय कड़वे प्रवचन सत्संग के शुभारंभ पर शिवाजी स्टेडियम में आयोजित धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि देश पहले और मजहब बाद में हो तो ही देश तरक्की करेगा। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया जिनवाणी स्कूल की छात्राओं द्वारा स्वागत गीत की भी प्रस्तुति दी गई।
 

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार सहित अनेक विशिष्टातिथियों शहरी विधायक रोहिता रेवड़ी, ग्रामीण विधायक महिपाल ढांडा, मेयर सुरेश वर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद विज, उपायुक्त समीरपाल सरो, एस.पी. राहुल शर्मा ने शिरकत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मुनि तरुण सागर की  कृति कड़वे प्रवचन आठों भाग के राज संस्करण व जीओ और जीने दो कॉमिक्स का विमोचन किया।

इस मौके पर दिगम्बर जैन पंचायत राकेश जैन, टोनी जैन, दीपक जैन, राजेश जैन, वीरज जैन, मेहुल जैन, सुखमाल जैन, सुरेंद्र जैन, मानकचंद जैन, ओम प्रकाश जैन, विनय जैन, दिनेश जैन, कपिल जैन, नीटू जैन, पंकज जैन, अक्षय जैन, राजीव जैन, सतेंद्र जैन, संजीव जैन, रजनीश जैन, मनीष जैन, धीरज जैन, अजय जैन, बबलू जैन, माटू जैन, भूपेंद्र जैन व मोहित जैन आदि सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

स्वामी के सामने मुझे बोलने का अधिकार नहीं : खट्टर

प्रेरणा उत्साह को जागृत करने, समाज को नवनिर्माण का संदेश देने वाले और देश के युवाओं में क्रांति की लौ भरने वाले क्रांतिकारी मुनि तरुण सागर पूरे समाज के लिए उत्प्रेरक हैं। उक्त शब्द मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहे। उन्होंने कहा कि स्वामी के सामने मुझे बोलने का अधिकार नहीं है क्योंकि स्वामी के ज्ञान में तेजस्व है। स्वामी के सान्निध्य में उनकी पहले भी 2 बार मुलाकात हुई तथा आज तीसरी बार तरुण सागर महाराज से मिलने का सौभाग्य मिला है। बचपन से ही बहुत ही तीक्ष्ण बुद्धि के विद्यार्थी रहे और 13 वर्ष की आयु में साधु का रूप धारण करने वाले ऐसे क्रांतिकारी संत समाज के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यह एक ऐसे क्रांतिकारी संत थे जिन्होंने 33 वर्ष की आयु में लालकिला से अपना संबोधन दिया।