आलू-प्याज व दालों की भी होगी सरकारी खरीद

10/16/2015 10:43:19 PM

पानीपत, (सरदाना) : परंपरागत फसलों गेहूं व धान की फसलों के उचित मूल्य न मिलने से परेशान किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। किसानों को बागवानी, फ्रूट, सब्जी और फूलों की खेती के प्रति जागरूक करने और डाईवर्सीफिकेशन के प्रति उत्साह पैदा करते हुए परंपरागत फसलों के प्रति किसानों के मोह को तोडने के उद्देश्य से सरकार जल्द ही आलू, प्याज व दालों की भी सरकारी रेट पर खरीद करेगी। अब इन फसलों के लिए भी सरकारी न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जाएगा और इन फसलों की खरीद सरकारी खरीद एजेंसी हैफेड और खाद्यापूर्ति विभाग के माध्यम से की जाएगी। किसानों से खरीदी जाने वाली सब्जियों व दालों को खुले बाजार में बेचा जाएगा। बाजार में आलू, प्याज व दालों के दामों में अचानक होने वाले उतार-चढाव पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है।

बागवानी विभाग के महानिदेशक डा.ए.एस. सैनी ने इस खबर पर मोहर लगाते हुए बताया है कि सरकार द्वारा तैयार की गई इस योजना को अगले दो माह के भीतर अमलीजामा पहनाया जाएगा। गेहूं की फसल के अच्छे दाम नहीं मिले तो किसान सडकों पर उतरे और सरकार के प्रति विरोध जताया। अब धान की फसल पिट रही है तो किसान परेशान हैं। जिस फसल के दाम कुछ साल पहले तक 34 सौ से 36 सौ रुपए प्रति क्विंटल तक मिले, अब वही फसल 14 सौ से 16 सौ तक ही बिक पा रही है। ऐसे में किसानों की दिक्कतें, परेशानियां लाजमी हैं तो उनका सडकों पर उतरना भी जायज ही कहा जाएगा। इस समय में जब परंपारगत फसलों की खेती करने वाले किसान परेशान हैं तो दालों व सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट है और इस मुस्कुराहट का कारण है फसलों के दाम उनकी सोच से बेहतर मिलना। सरकार व बागवानी विभाग किसानों को परंपरागत फसलों से हटकर नगदी फसलें उगाने के लिए जागरुक करता रहता है, लेकिन इसके सार्थक परिणाम की प्रतिशत मात्रा काफी कम है क्योंकि किसानों का मोह परंपरागत फसलों से हट नहीं रहा है और खेतों में वे केवल धान व गेहूं की फसल उगाने को लेकर ही मेहनत करते दिखाई देते हैं। खेती में नित हो रहे बदलावों को लेकर सरकार भी काफी गंभीर दिखाई दे रही है। इसी का परिणाम है कि अब सरकार ने ऐसी योजना तैयार की है जिससे किसानों का मोह बागवानी व सब्जी की फसलों की तरफ बढता दिखाई देगा।
 
फसलों के समर्थन मूल्य के चलते नहीं होता बदलाव
धान व गेहूं की फसलों के प्रति किसानों का मोह होने का सीधा कारण सरकार द्वारा इनका न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाना है। इसके साथ ही सीजन के दौरान सरकार की तरफ से किसानों को अतिरिक्त बोनस भी प्रदान कर दिया जाता है जो एक प्रकार की अतिरिक्त आय के समान होता है। दूसरी तरफ बागवानी के प्रति उत्साह केवल इसी कारण से नहीं है कि सरकार द्वारा इसके लिए कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जाता, सब्जी व फल की फसलें तैयार होने पर किसानों के पास इसके भंडारण की किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं होती है और इस प्रकार की फसलें तैयार करने के बाद किसान खुद को असहाय महसूस करने के साथ ही मंडी में व्यापारी के हाथ का खिलौना बना महसूस करता है। किसानों की इसी लाचारी का लाभ उठाते हुए मनमाने दामों पर किसान की बागवानी फसलों की खरीद की जाती है। इन्हीं कारणों के चलते किसान सब्जी व फल की खेती से दूरी बनाए रखते हैं और सरकार व विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी किसी प्रकार का बदलाव होता दिखाई नहीं देता है।
 
 मिलेगा समर्थन मूल्य
बाजार में आलू व प्याज के दाम रोजाना की मंडी तय करती है यानि भाव रोजाना ऊपर-नीचे होते हैं। अब सरकार ने आलू-प्याज व दालों के भी समर्थन मूल्य निर्धारित करने और इनकी खरीद हैफेड व खाद्यापूर्ति विभाग के माध्यम से करवाए जाने की योजना तैयार की है। बागवानी विभाग के डायरेक्टर जनरल यानि महानिदेशक डा.ए.एस सैनी के मुताबिक सरकार योजना तैयार कर चुकी है और अगले दो महीने के भीतर इसे अमलीजामा पहनाए जाने की पूरी तैयारी है। डा.सैनी ने जानकारी देते हुए बताया कि आलू-प्याज की खरीद के बाद इनके भंडारण की परेशानी आती है लेकिन सरकारी कोल्ड स्टोर में इन्हें स्टोर किया जाएगा तो दालों को अनाज मंडियों के उन भंडारण गृह में ही स्टोर किया जाएगा जहां गेहूं-धान को स्टोर किया जाता है। सरकार द्वारा हर प्रकार की दाल की खरीद की जाएगी और फिर खुले बाजार में लोगों को इन्हें बेचा जाएगा।
 
ब्लैक मार्केटिंग खत्म होगी
प्याज के दाम 70 से 80 रुपए प्रति किलोग्राम तो दालों के भाव 150 से 180 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुके हैं। इसे लेकर प्रदेश सरकार चिंतित नजर आ रही है। बाजार में खुदरा दाम आसमान पर हैं जिससे ग्राहक परेशान होने के साथ ही सरकार से नाराज भी हैं तो दूसरी तरफ किसानों को फसल के वही पुराने दाम ही मिल पा रहे हैं। जाहिर है कि बिचौलियों द्वारा प्याज व दालों के अवैध स्टॉक करते हुए ब्लैक मार्केटिंग की जा रही है और कई गुणा मुनाफा कमाया जा रहा है। सरकार की इस योजना के शुरु होने से ब्लैक मार्किटिंग खत्म होगी, किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलने के साथ उन्हें पता होगा कि फसल किस दाम तक बिकेगी और बाजार में सब्जी व दाल का मूल्य निर्धारण होने से ग्राहकों की परेशानी भी दूर होगी।