सरसों व गेहूं की फसल तैयार, मंडी में अव्यवस्था

3/26/2019 11:12:59 AM

पानीपत (राजेश): रबी की सीजन की फसलों को खरीदने के लिए मंडियां तैयार हो गई हैं, लेकिन पानीपत की मंडियों को देखकर लगता है कि अभी इसकी तैयारियां काफी ढीली हैं। प्रशासन मंडी में खरीद के लिए पूरी तैयारियां करने का दावा कर रहा है। जमीनी स्तर पर इनकी कलई खुल रही है। यदि प्रशासन की तैयारी ऐसी ही रही और 1 अप्रैल से गेहूं आया तो इसकी बेकद्री हो सकती है। अभी तक मंडियों के लिए खरीद एजैंसियां तक भी तय नहीं हैं।

जिले में कई खरीद केंद्रों पर सफाई के नाम पर केवल खानापूॢत हो पाई है। मंडी में अभी पूरी तरह से बिजली, पानी की सुविधा तो दूर, अभी तक ढंग से सफाई तक नहीं हो पाई है। वहीं, मंडी में किसानों के बैठने व विश्राम करने के लिए भी कोई समूचित जगह नहीं है। मार्कीट कमेटी अधिकारियों का कहना है कि मंडी में साफ-सफाई का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और जल्द ही इसको पूरा कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि  इस बार पानीपत जिले में लगभग 85 हजार हैक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल खड़ी हुई है। 

सीजन आने पर तो गेहूं डालने तक की जगह मंडियों में नहीं रह पाती है, वहीं, व्यवस्थाओं पर ध्यान न देने के कारण मंडी में चोर भी सक्रिय हो जाते हैं, जो कि मौका लगते ही अनाज की बोरियां पर भी हाथ साफ कर जाते हैं। जिले भर की मंडियों और खरीद केंद्रों पर पिछले साल की तुलना में इस बार अधिक गेहूं आने की संभावना है।

ये कहते हैं किसान 
किसान सतपाल ने कहा कि 6 महीने तक दिन रात एक करके अपनी फसल को तैयार करता है, जब फसल पककर तैयार हो जाती है तो उससे काटने के बाद मंडी में लाता है, मंडी में आने के बाद किसान की फसल बेचने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सरकार को ऐसे प्रबंध करने चाहिए कि फसल जल्दी बिक सके और उसके बाद किसान अपना अगला काम कर सके। अक्सर ये होता है कि मंडी में फसल आने के बाद कई कई दिन तक किसानों को उस फसल की रखवाली करनी पड़ती है जो कि गलत है।

किसान के लिए रात को ठहरने का हो उचित प्रबंध
किसान जयभगवान मंडी में किसानों के ठहरने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। किसान पानीपत अनाज मंडी में रैस्ट हाऊस बनाने की मांग कई बार कर चुके हैं लेकिन किसी भी सरकार ने किसानों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। अन्य सरकारी विभागों में जैसे शूगर मिल, बिजली बोर्ड में अधिकारियों के विश्राम गृह की व्यवस्था है, लेकिन मंडी में किसानों को नहीं है। रातभर किसान मच्छरों से जूझते रहते हैं और रात को ही सफर करना मुनासिब समझते हैं। 

kamal