पशुपालकों के लिए खास खबर : दूध के हिसाब से बढ़ती जाएगी नगद पुरस्कार राशि

10/20/2015 9:08:45 PM

पानीपत,(सरदाना) : बीफ पर मचे बवाल के बीच हरियाणा सरकार ने देसी गाय के संरक्षण और संवर्धन को बढावा देने की पहल शुरू कर दी है। प्रदेश के पशुपालन विभाग की ओर से देसी गाय के पालन और गाय के दूध को बढावा देने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की योजनाएं शुरू की गई हैं। 

साहीवाल व हरियाणा नस्ल की देसी गाय के पालकों को अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए दस से बीस हजार रुपए तक के नगद पुरस्कार देने की शुरु की गई योजनाओं को लेकर विभाग भी काफी उत्साहित है। विभाग को उम्मीद है कि प्रदेश के पशुपालक जल्द ही भैंसों की तुलना में गायों को बढावा देना शुरू करेंगे जिससे एक बार फिर से गऊ माता को प्राचीन काल जैसा सम्मान प्रदान किया जा सकेगा। गायों को बढावा देने की इस योजना के साथ ही पशुपालन विभाग मंडियों व सडकों पर घूमने वाली बेसहारा गायों के लिए प्रदेशस्तरीय अभ्यरण्य भी तैयार करेगा।
 पशुपालन विभाग के महानिदेशक डा.जी.एस. जाखड का कहना है कि गाऊ पालन व दुग्ध उत्पादन के लिए तैयार योजना को सरकार की मंजूरी मिल चुकी है जबकि अभ्यरण्य के लिए प्रदेश के राज्यपाल को लिखित तौर पर योजना की जानकारी दी गई है उस पर विचार चल रहा है। जल्द ही राज्यपाल की तरफ से इस योजना को भी मंजूरी मिल जाएगी जिसके बाद प्रदेश की बेसहारा गायों को भी सहारा मिल जाएगा।
 मुख्यमंत्री के बीफ पर दिए गए बयान के बाद बुरी तरह से फंसे हुए हैं, विपक्ष के निशाने पर हैं तो भाजपा हाईकमान भी फटकार लगा चुका है। प्रदेश में गऊ पालन के प्रति लोगों में उत्साह काफी कम है और दूध हासिल करने के लिए भैंसों का पालन काफी अधिक है। सरकार द्वारा गऊओं की नस्ल में सुधार करने, अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए गायों की नई नस्ल तैयार करने और ब्रिडिंग के लिए नए बैल तैयार करने के लिए हिसार में राष्ट्रीय स्तर का एक केंद्र भी चलाया जा रहा है। बावजूद इसके प्रदेश में ही गऊ पालन को उस स्तर पर बढावा नहीं मिल पा रहा है, जिस स्तर पर सरकार की सोच है। ऐसे में अब सरकार ने गऊ पालन को बढावा देने के लिए ऐसी योजनाएं तैयार की हैं जिनसे पशुपालक आकृषित होंगे और गऊपालन को बढावा मिलेगा।
 
सरकार देगी दस से बीस हजार रुपए का नगद पुरस्कार
साहीवाल और हरियाणा प्रदेश में तैयार होने वाली गऊओं की यह दो नस्ल काफी प्रसिद्ध हैं। दोनों काफी मात्रा में दूध देती हैं जिससे पशुपालकों को काफी लाभ होता है। इन दोनों नस्लों को बढावा देने के लिए पशुपालन विभाग ने योजना तैयार की है कि एक समय में दस किलोग्राम से अधिक दूध देने वाली गाय को दस हजार रुपए से बीस हजार रुपए तक का नगद पुरस्कार दिया जाएगा। दस किलोग्राम से जितना अधिक दूध होगा, हजार रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से राशि बढती जाएगी। हरियाणा नस्ल की देसी गाय के मामले में पुरस्कार राशि छह किलोग्राम दूध से ही शुरु हो जाएगी यानि छह किलोग्राम दूध देने पर दस हजार रुपए और इससे अधिक देने पर हजार रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से राशि बढेगी। पशुपालन विभाग के महानिदेशक डा.जी.एस. जाखड का कहना है कि दोनों ही नस्ल की गायों में दूध देने की क्षमता काफी अधिक है और ऐसे में पशुपालक गऊपालन को बढावा देने में पीछे नहीं रहेंगे। इस प्रयास से प्रदेश में गऊपालन निश्चित तौर पर बढेगा।
 
नस्ल सुधार के लिए मिले 21 करोड रुपए
 राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देसी गाय व बैल की नस्ल में सुधार करने, नई नस्लें तैयार करने और पुरानी नस्लों की खामियों में सुधार करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की तरफ से हाल ही में प्रदेश के पशुपालन विभाग को 21 करोड रुपए की राशि प्रदान की गई है। दूध की मांग को पूरा करने के लिए भले ही भैंसों का पालन किया जा रहा है, लेकिन साहीवाल व हरियाणा नस्ल की गाय का दूध व्यक्ति विशेषकर बच्चों के लिए काफी लाभदायक है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से मिली राशि का प्रयोग नई प्रजाति तैयार करने में किया जाएगा जिससे मुर्रा भैंस की तर्ज पर गाय का नाम भी राष्ट्रीय स्तर पर चमकाया जा सके।