सारा शहर मुझे स्नैक मैन के नाम से जानता है

11/17/2015 7:01:21 PM

पानीपत, (सरदाना) : सांप...एक ऐसा जीव जिसका केवल नाम सुनने मात्र से ही शरीर में सिहरन पैदा हो जाए...एक ऐसा जीव जिसकी कल्पना मात्र करने से आंखों के आगे ऐसी तस्वीर पैदा हो जाए जो बेहद डरावनी हो और जिसके करीब न होने के बावजूद काफी डर लगने लगे। टीवी, फिल्मों और कहानियों में सांप की जो छवि पेश की जाती है वही छवि सांप को बना देती है एक भयानक और अपने दंश से किसी की जान लेने वाला जीव। इसी के कारण सांप के दिखते ही उसे मारने में भी देरी नहीं की जाती। 
सांप से भय खाने वाले, नफरत करने वाले और उसे मार गिराने वाले लोगों की बडी संख्या के बीच एक शख्स ऐसा भी है जो सांपों से न केवल प्यार करता है बल्कि अपने जीवन का लक्ष्य सांपों की जिंदगी को बचाना और उन्हें पकडकर उनके प्राकृतिक आवास यानि जंगलों में छोडने को ही अपने जीवन का ध्येय मानता है। करनाल के गांव फफडाना के रहने वाले सतीश कुमार को लोग स्नैक मैन के नाम से भी जानते हैं और उन्हें यह प्रसिद्धि अब तक उनके द्वारा पकडे गए करीब 12 हजार सांपों के कारण मिल पाई है। पानीपत के असंध रोड पर स्थित एक कॉटन मिल में बीते कई दिनों से छिपे दो कोबरा प्रजाति के सांपों को पकडने के लिए पहुंचे सतीश कुमार का कहना है कि सांपों को बचाने और सांपों के काटने के कारण होने वाली लोगों की मौत के ग्राफ को नीचे लाने के लिए वे जीवनभर प्रयासरत रहेंगे। 
असंध रोड पर स्थित गुरविंद्र कॉटन वेस्ट सप्लायर फैक्ट्री में बीते कुछ दिनों से काले रंग के कोबरा सांप दिखाई दे रहे थे। इसे बेहद जहरीला माना जाता है। सांप कॉटन की गांठों में ही छिप जाते थे और उन्हें पकड पाना लगभग नामुमकिन सा नजर आ रहा था। ऐसे में सतीश कुमार को यहां पर बुलाया गया जिन्होंने आधे घंटे की मेहनत में ही दोनों सांपों को काबू कर लिया।

खुद को सांप ने काटा तो पैदा हुई उत्सुक्ता
साल 1998 की सर्दियों के दिन थे जब सतीश कुमार अपने घर में सोए हुए थे। इसी दौरान चारपाई पर चढ आए एक सांप ने उन्हें अचानक से हाथ की उंगली पर काट लिया। सतीश के मुताबिक सांप उनके हाथ से लिपटा हुआ था जिसे उन्होंने पकडकर दूर फैंका। इसके बाद चिकित्सक को दिखाया गया तो पता चला कि काटने वाला सांप जहरीला नहीं था, लेकिन सांपों के बारे में जानकारी न होने के कारण उन्हें यही लगता रहा कि किसी भी समय पर उनकी मौत हो जाएगी। ऐसे में चिकित्सक ने बताया कि सांपों की अनेक प्रजातियां जहरीली नहीं होती हैं और उनके काटने से नुकसान नहीं होता। इससे सांपों के प्रति उनके दिल में उत्सुक्ता पैदा हुई जिसके बाद उन्होंने दिल्ली पहुंचकर सांपों के बारे में अनेक प्रकार की किताबें खरीदी और उनका अध्ययन किया। सांपों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए ही वे तामिलनाडू तक गए। साल 2000 में यानि 15 साल पहले शुरू किए गए सांपों को पकडने के सफर में अब तक वे 12 हजार के करीब सांप पकडकर उन्हें जंगलों में छोड चुके हैं। सतीश का कहना है कि इससे जहां सांप की जान बचती है वहीं सांप के काटने से होने वाली मौत का ग्राफ भी नीचे आया है।
सांप का जहर नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है जिससे पेट में दर्द होता है, छाती में जलन होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है और दिल काम करना बंद कर देता है। सतीश बताते हैं कि सांप काटे व्यक्ति को तुरंत एंटी वैनम सिरम का इंजेक्शन लगवाना चाहिए और उसे वैंटीलेटर की सुविधा देनी चाहिए।