हैरानीजनक आंकड़ा: 35 मिलियन टन पराली हर साल जलती है हरियाणा-पंजाब में

punjabkesari.in Friday, Aug 23, 2019 - 10:49 AM (IST)

गुरुग्राम (मार्कण्डेय) : टाटा से संबंधित द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीटयूट ने फसलों की पराली को लेकर किए गए शोध में दावा किया है कि साल भर में 35 मिलियन टन पराली हरियाणा और पंजाब में जलाई जाती है। संसाधनों के इस्तेमाल और ऊर्जा को लेकर शोध करने वाली राष्ट्रीय संस्था ने यह दावा तब किया जब प्रदेश में पराली जलाने को गैर कानूनी घोषित किया जा चुका है। क्राप बर्निंग इन पंजाब एंड हरियाणा नाम से जारी पत्र में नवीकरण ऊर्जा तकनीकि को लेकर संस्था के वरिष्ठ शोधकर्ता सुनील धींगरा ने इस पर सिलसिलेवार ब्यौरा जारी किया है। 

फसलों के अवशेष जलाने से धूल के कणों की मात्रा में तेजी से होता है इजाफा 
फसलों के अवशेष जलाने से हवा में धूल के कणों की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है,जिसमें पीएम 2.5 स्तर सहित पीएम 2.5 तथा कार्बन मोनो आक्साईड में तेजी से बढ़ौत्तरी होती है जिसके कारण दमा व सांस के मरीजों सहित आम लोगों को भी सेहत संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

रिपोर्ट में कहा गया कि साल भर में हरियाणा-पंजाब में 35 मिलियन टन फसल अवशेषों को जलाया जाता है जबकि इन अवशेषों को बायोमॉस फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है अथवा दूसरे प्रकार के उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए सरकारी स्तर पर नीतियों के निर्माण के साथ ही तकनीकि को विकसित करना होगा। इससे न केवल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी बल्कि ग्लोबल वार्मिंग भी कम होगा। 

ग्रामीण क्षेत्रों में ही खपा सकते हैं पराली 
रिपोर्ट में कहा गया है कि तकनीकि की सहायता लेकर कूलिंग और रैफ्रीजरेशन के माध्यम से पराली का उपयोग फसल अवशेष को ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है। इसके तहत इसे गांवों में कोल्ड स्टोरेज मेें दूध ठंडा करने की तकनीकि में प्रयोग किया जा सकता है। अधिक मात्रा में पराली होने पर इसे विकेंद्रित कर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विभिन्न कोल्ड स्टोरेज में भेजा सकता है। 


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Isha

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