जेल में बंद सिखों की रिहाई के लिए टंकी से कूदा गुरबख्श, मौत (VIDEO)

3/20/2018 11:47:03 PM

कुरूक्षेत्र(रणदीप रोड़): कुरूक्षेत्र के गांव ठसका अली में जेलों मैं बंदी सिखोंं की रिहाई के लिए पानी की टंकी पर चढ़े भाई गुरबख्श सिंह खालसा ने टंकी से ही छलांग मार दी। टंकी से गिरने पर गुरबख्श सिंह की हालत गंभीर हो गई, जिसे आनन फानन में अस्पताल ले जाया गया। कुरुक्षेत्र के सरकारी अस्पताल में गुरबख्श सिंह ने दम तोड़ा दिया। गुरबख्श सिंह की मौत के बाद प्रशासन के हाथ पांव फूले हुए हैं।



जानकारी के मुताबिक विभिन्न जेलों में बंद सजा भुगत चुके बंदी सिखों की रिहाई के लिए प्रयासरत गुरबख्श सिंह खालसा ने आज अपना संघर्ष शुरू किया था। मंगलवार दोपहर करीब एक बजे वह अपने पैतृक गांव ठसका अली जिला कुरुक्षेत्र में पानी की टंकी पर चढ़ कर अमरण अनशन पर पर बैठा। जानकारी के अनुसार बुडैल जेल में बंद भाई गुरमीत सिंह की माता सुरजीत कौर तथा बुडैल जेल में ही बंद भाई शमशेर सिंह की पत्नी बीबी बलजिंद्र कौर और भाई शमशेर सिंह के भाई भगवंत सिंह ने उनको सिरोपा दे कर यह संघर्ष शुरू करने के लिए गुरु चरणों में सफलता के लिए अरदास की।



गौरतलब है कि इन बंदी सिखों की रिहाई के लिए भाई खालसा ने 13 नवम्बर 2013 को गुरुद्वारा अंब साहिब मोहाली से भूख हड़ताल शुरू की थी। 44 दिन बाद श्री अकाल तखत साहिब के जथेदार सिंह साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह के द्वारा बंदी सिखों की जल्दी रिहाई का भरोसा देने के बाद भूख हड़ताल खत्म की थी। 

करीब एक साल इंतजार करने के बाद भी जब सजा भुगत चुके किसी भी बंदी सिख को रिहा नहीं किया गया, तो दोबारा उन्होंने 13 नवम्बर 2014 को गुरुद्वारा साहिब पातशाही 10वीं श्री लखनौर साहिब अम्बाला में भूख हड़ताल शुरू की। करीब 65 दिन तक लगातार भूख हड़ताल करने के दौरान उन पर हर तरफ से सरकार और प्रशासन द्वारा दबाव बनाया गया और बार-बार यह भरोसा दिया गया कि बंदी सिख रिहा किए जा रहे हैं।

इस भरोसे के बाद एक बार फिर उन्होंने भूख हड़ताल स्थगित कर दी थी। करीब 3 साल बीत जाने के बाद भी जब बंदी सिखों की गिराही के लिए कोई ठोस प्रबंध नहीं हुआ, तो आज वह फिर से भूख हड़ताल पर बैठे गुरबख्श सिंह खालसा ने टंकी पर चढ़कर वहां से छलांग लगा दी, जिसके कारण उसे गंभीर चोटें आई और अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

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