पनसप यूनियन के गुटों की आपसी गुटबंदी के चलते खुला भेद, मामला दर्ज

9/22/2017 12:00:09 PM

मोगा (ग्रोवर/ आजाद): पंजाब स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन पनसप द्वारा 10 वर्ष पहले तरस के आधार पर भर्ती किए गए दर्जा चार मुलाजिम द्वारा कथित तौर पर अपनी नियुक्ति के समय लगाए गए फर्जी दस्तावेज के चलते दर्जा चार कर्मी समेत 4 के विरुद्ध विजीलैंस ब्यूरो लुधियाना द्वारा धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। 

गौरतलब है कि पनसप जिला मैनेजर दफ्तर में प्रीतम सिंह मल्ला (लुधियाना) दर्जा चार कर्मचारी था जिसकी 2006 में मौत हो गई थी। प्रीतम सिंह अविवाहित होने के चलते उसकी मृत्यु के उपरांत उसके भतीजे लाल सिंह ने फर्जीवाड़ा कर प्रीतम सिंह का कथित तौर पर अपने आपको बेटा दर्शा कर तरस के आधार पर पनसप अधिकारियों से कथित मिलीभगत कर नौकरी हासिल कर ली थी। यही नहीं लाल सिंह की मां सुखदेव कौर ने भी प्रीतम सिंह की विधवा होने के दस्तावेज तैयार कर विभागीय बकाया हासिल करने के अलावा पैंशन भी प्राप्त की।

कुछ समय पहले मोगा में पनसप अधिकारियों की यूनियन की आपसी कथित गुटबंदी के चलते इस मामले संबंधी शिकायत विजीलैंस ब्यूरो लुधियाना को भेजी गई तथा इस मामले में डी.एस.पी. विजीलैंस कुलवंत राय ने लंबी जांच की। चाहे लाल सिंह ने कहा था कि उसको उसके चाचा प्रीतम सिंह ने बाकायदा तौर पर गोद लिया था लेकिन फिर भी जांच में वह अपने आपको सही साबित नहीं कर सका।

कथित आरोपी गिरफ्तार
सूत्रों का कहना है कि लाल सिंह के पिता का नाम गुरदयाल सिंह है तथा लाल सिंह ने अपने गांव के सरकारी स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की थी, लेकिन तरस के आधार पर नौकरी लेने के लिए उसने 8वीं फेल के स्कूल सर्टीफिकेट पर पैन कार्ड व अन्य सर्टीफिकेट बना लिए थे, जिस पर उसने अपने पिता का नाम प्रीतम सिंह दर्शाया था।

विजीलैंस विभाग लुधियाना ने लाल सिंह तथा इस कर्मचारी की सहायता करने वाले प्रितपाल सिंह, रिटायर्ड डिपो मैनेजर राजेन्द्रपाल शर्मा तथा नंबरदार मुख्तयार सिंह के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 409, 420, 467, 468, 472 तथा 120-बी के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले में कथित आरोपी लाल सिंह, प्रितपाल सिंह तथा मुख्तियार सिंह को गिरफ्तार भी किया गया है। 

दस्तावेजों के आधार पर ही दी नौकरी
इस मामले में अपना पक्ष पेश करते पनसप विभाग के मुलाजिम प्रितपाल सिंह ने कहा कि जिला मैनेजर दफ्तर को लाल सिंह ने अपने स्तर पर ही जाली दस्तावेज तैयार करके दिए हो सकते हैं तथा दफ्तर को इस संबंधी कोई पता नहीं था। उनके पास जो शिक्षण योग्यता, पैन कार्ड आदि सबूत दिए हैं उसी आधार पर ही लाल सिंह को नौकरी मिली थी, इन दस्तावेजों में लाल सिंह को प्रीतम सिंह का ही बेटा दर्शाया गया है।