नहीं लग रही आर.टी.ए. कार्यालयों के भ्रष्टाचार पर लगाम

7/3/2018 12:52:08 PM

अम्बाला(पंजाब केसरी टीम): प्रदेश के प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण कार्यालय भ्रष्टाचार के सबसे बड़े अड्डे बने हुए हैं। वाहनों की पासिंग से लेकर परमिट जारी करने तक के कार्य बिना रिश्वत के संभव नहीं होते। कई कार्यालयों में सी.एम. फ्लाइंग की ओर से भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है, परंतु उसके बावजूद इन कार्यालयों के भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आई है। 

कुछ माह पूर्व सी.एम. फ्लाइंग ने गुडग़ांव, रेवाड़ी व कुछ अन्य जिलों में आर.टी.ए. कार्यालयों में दबिश देकर रिकॉर्ड की जांच की थी। इन कार्यालयों में फर्जी लाइसेंस बनाने के मामले भी उजागर हुए थे। कुछ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था जबकि कुछ फरार होने में कामयाब हो गए थे। इस कार्रवाई में कई दलाल भी टीम के हत्थे चढ़े थे। बड़ी संख्या में फर्जी मोहरें व अन्य सामान बरामद किया गया था। इस कार्रवाई के बाद कुछ दिनों तक आर.टी.ए. कार्यालयों में रिश्वतखोरी का धंधा बंद हो गया था। समय बीतने के साथ यह धंधा फिर से शुरू हो गया। भूमिगत हुए दलाल एक बार फिर से सक्रिय हो चुके हैं।

यह बात और है कि दलाल अब खुलकर काम करने की बजाय गुप्त ठिकानों से अपना नैटवर्क चला रहे हैं। इन दलालों ने अपने पुराने ठिकानों को बंद कर दिया है। इसके बावजूद उनके पुराने ग्राहक उन तक पहुंच ही जाते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वाहनों के कागजात बनवाने में रिश्वत का बड़ा खेल चलता है। बड़े ट्रांसपोर्टरों को कागजात बनवाने के लिए रिश्वत देनी ही पड़ती है। अगर कोई बिना रिश्वत के कागजात बनवाने के प्रयास करता है तो उसके लिए यह काम आसान नहीं होता। उसे किसी न किसी बहाने से बार-बार चक्कर लगवाए जाते हैं। आखिरकार परेशान आदमी या तो उन्हें सीधे रिश्वत देने को तैयार हो जाता है या फिर दलालों का सहारा लेता है। कमर्शियल वाहनों की पासिंग हर साल होती है।

पासिंग में भी रिश्वत का खेल जमकर चलता है। मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर वाहनों की जांच व वीडियोग्राफी के बाद फाइल संबंधित आर.टी.ए. कार्यालय को भेज देते हैं। इसके बाद आर.टी.ए. कार्यालयों के कर्मचारी अपना खेल शुरू कर देते हैं। कमर्शियल वाहनों की पासिंग हर साल होती है। यह भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए दुधारू गाय की तरह साबित होता है। इन कार्यालयों के भ्रष्टाचार पर काबू पाना आसान काम नहीं है। इन कार्यालयों में रिश्वत रोकने के लिए एस.डी.एम. की बजाय ए.डी.सी. को चार्ज दिया गया है। इसके बावजूद रिश्वत के मामलों में कमी नहीं आ रही।

एम.वी.आई. की कमी भी बड़ा कारण
प्रदेश में वाहनों की पासिंग का काम एम.वी.आई. करते हैं। उन्हें देखना होता है कि वाहन में कोई कमी तो नहीं है। प्रदेश में एम.वी.आई. की भारी कमी है। ऐसे में एम.वी.आई. 3 से 4 जिलों तक में वाहनों की पासिंग का काम देखते हैं। कहीं सप्ताह में एक बार तो कहीं दो बार पासिंग का काम होता है। इससे वाहनों की भीड़ बढ़ जाती है। अधिक वाहन होने के कारण जल्द पासिंग कराने के चक्कर में वाहन मालिकों को मोटा सुविधा शुल्क देना पड़ता है। वैसे भी एम.वी.आई. वाहनों की जांच के नाम पर खानापूर्ति ही करते हैं। अगर पुराने वाहनों की गहन जांच की जाए तो 10 फीसदी वाहन भी पास होने संभव नहीं होते। खासकर स्कूल बसों की पासिंग में रिश्वत का मोटा खेल चलता है। हालांकि पासिंग के दौरान वाहन की वीडियोग्राफी भी होती है, लेकिन वह भी सिर्फ खानापूर्ती के लिए होती है।  

कृष्णलाल पंवार, परिवहन मंत्री।
आर.टी.ए. कार्यालयों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। पूर्व में कई कार्यालयों पर छापे मारे गए थे। भ्रष्टाचार के आरोप में कई कर्मचारियों को गिरफ्तार भी किया गया था। आगे भी इस तरह की कार्रवाई चलती रहेगी।

Deepak Paul