राव की मुंडाहेड़ी रैली, हाईकमान की रणनीति या दबाव की राजनीति !

7/9/2018 3:39:43 PM

अंबाला (पंजाब केसरी टीम): दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में विशेष दबदबा रखने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की वर्तमान राजनीति को उनके विरोधी भी नहीं समझ पा रहे हैं। राव अपने दम पर कुछ समय पूर्व अहीरवाल के गढ़ दोंगड़ा अहीर में बड़ी रैली कर चुके हैं। अब वह झज्जर जिले के मुंडाहेड़ा गांव में कार्यकर्त्ता सम्मेलन का आयोजन 15 जुलाई को करने जा रहे हैं। इस कार्यकर्त्ता सम्मेलन को दोंगड़ा अहीर की तरह बड़ी जनसभा में बदलने के लिए उनके कार्यकर्त्ताओं ने जिस प्रकार से तैयारी शुरू की हुई है, उससे साफ नजर आ रहा है कि राव प्रदेश की राजनीति में कभी भी कोई बड़ा धमाका कर सकते हैं। 

कांग्रेस से राजनीति की शुरूआत करने वाले राव इंद्रजीत ने वर्ष 2009 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही तत्कालीन हुड्डा सरकार पर दक्षिणी हरियाणा की उपेक्षा करने के आरोप लगाने शुरू कर दिए थे। उन्होंने हुड्डा के खिलाफ पार्टी हाईकमान तक शिकायत लगाई थी। हुड्डा के पैर पार्टी हाईकमान की चौखट पर मजबूत होने के कारण राव हुड्डा का कुछ नहीं बिगाड़ पाए थे। आखिरकार राव के तल्ख तेवरों को देखते हुए हुड्डा ने उन्हें अपनी ओर से पूरी तरह दरकिनार कर दिया था। गत लोकसभा चुनावों से ठीक पहले राव ने कांग्रेस का दामन छोड़कर इंसाफ मंच का गठन कर लिया था। दक्षिणी हरियाणा में राव के मजबूत जनाधार के कारण भाजपा ने उन्हें अपने खेमे में शामिल कर लिया था। 

राव के भाजपा में आने के बाद ही अहीरवाल के साथ-साथ प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उन्होंने अहीरवाल की लगभग सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरा जोर लगा दिया था। अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह का अपना निजी वोट बैंक काफी अच्छा है। अगर वे किसी प्रत्याशी को जिता नहीं सकते तो हराने का माद्दा जरूर रखते हैं।  राव भाजपा के 4 साल के कार्यकाल में प्रदेश सरकार के खिलाफ कुछ माह पूर्व पहली बार बोले थे। उन्होंने भरी सभा में सी.एम. खट्टर को खरी-खोटी सुना दी थी। खट्टर ने भी राव के राजनीतिक महत्व को देखते हुए उन्हें तत्काल मना लिया था। 

अहीरवाल में राव के खिलाफ भी एक लॉबी काम कर रही है। हालांकि इस लॉबी के पास इतनी राजनीतिक ताकत नहीं है जो पूरे अहीरवाल क्षेत्र में राव को नुक्सान पहुंचाने की स्थिति में हो। एक बार इस लॉबी को सी.एम. ने अपने पक्ष में कर लिया था। एंटी राव खेमे को सी.एम. ने हुड्डा की तर्ज पर ज्यादा महत्व देना शुरू कर दिया था। यह मामला पार्टी हाईकमान तक भी पहुंच गया था। सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान तक इस बात का संदेश जा चुका है कि अगर दक्षिणी हरियाणा में पार्टी की नैया को पार लगाना है तो राव को पार्टी में बनाए ही रखना होगा। इस बात को लेकर पार्टी एक सर्वे भी करवा चुकी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार जाट आरक्षण आंदोलन के बाद से जाट भाजपा के जाट नेताओं तक से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में पार्टी को किसी ऐसे नेता की जरूरत है जो सभी जातियों के लिए मान्य हो। 

राव भाजपा के ऐसे नेताओं में शामिल हैं जिनसे जाट भी नाराज नहीं हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान के इशारे पर ही राव जाटलैंड में पार्टी को मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं। दूसरे यह भी हो सकता है कि वह पार्टी हाईकमान को इन रैलियों से कुछ खास संदेश देना चाह रहे हों। अभी तक उनके विरोधी भी राव की इस ‘रैली रणनीति’ को समझ नहीं पा रहे हैं। 

हुड्डा के गढ़ में सेंध लगाने की तैयारी
झज्जर जिला पूर्व सी.एम. भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का मकसद हुड्डा को उन्हीं के गढ़ में घेरना है। इंद्रजीत झज्जर के बाद हुड्डा के दूसरे गढ़ रोहतक में भी रैली करने का प्लान तैयार कर चुके हैं। आने वाले समय में उनकी रैलियां जाट बाहुल्य इलाकों में ही होनी हैं। यही कारण है कि इंद्रजीत की इन रैलियों के पीछे कोई खास मकसद माना जा रहा है। अभी तक इंद्रजीत अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इंद्रजीत ने कोसली हलके में एक ऐसे प्रत्याशी को जिताने के लिए अपने भाई को हराने में बड़ी भूमिका निभाई थी जो उस समय राजनीति में एक ‘चूजे’ के समान माना जा रहा था। मोदी लहर से ज्यादा उस क्षेत्र में इंद्रजीत के प्रभाव ने काम किया था।

सुभाष बराला ने कहा कि राव इंद्रजीत सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वे पार्टी के हितों के लिए काम कर रहे हैं। उनका मकसद अधिक से अधिक लोगों को पार्टी के साथ जोड़ना है।

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि मैं पार्टी के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रहा हूं। भाजपा को मजबूत बनाने के लिए प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कार्यकर्त्ता सम्मेलनों का आयोजन करने की योजना है।
 

Nisha Bhardwaj