3 साल के कोर्स को खींच दिया था 5 साल तक

7/3/2018 12:37:52 PM

अम्बाला (पंजाब केसरी टीम): रोहतक की स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विजुअल अार्टस के पूर्व विद्यार्थियों का भविष्य चौपट करने में प्रदेश सरकार और यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। वर्ष 2011 के बैच में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों का 3 साल का कोर्स 5 साल तक खींच दिया गया। अब पूर्व विद्यार्थी सरकार से 2 साल बर्बाद होने व आर्थिक नुक्सान का मुआवजा मांग रहे हैं। सरकार की ओर से इस मामले में चुप्पी साधी हुई है।

पहले बैच में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को उस समय के संस्थान के प्रॉस्पैक्टस में बताया गया था कि उनका कोर्स 3 साल का होगा। इस कोर्स को पूरा करने के लिए विद्यार्थियों को बड़ा कैमरा और अन्य उपकरणों की आवश्यकता थी। चूंकि बाद में इस संस्थान को यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया गया था, इसलिए संस्थान में सामान की खरीद का सिस्टम सरकार के हाथों में आ गया था। सरकार की ओर से उपकरणों की खरीद के लिए बजट ही नहीं दिया गया, जिस कारण विद्यार्थियों का कोर्स समय पर पूरा नहीं हो सका।

इसके लिए विद्यार्थियों को 2 साल इंतजार करना पड़ा। अधिकांश विद्यार्थी दूरदराज के क्षेत्रों के रहने वाले थे, इसलिए उनका रहने व खाने का खर्च भी बढ़ रहा था। उनके हजारों रुपए तो अतिरिक्त बर्बाद हुए ही, साथ ही दो साल का समय भी बर्बाद हो गया। इन दो सालों में विद्यार्थी नौकरी के जरिए काफी पैसा भी कमा सकते थे। ये विद्यार्थी मध्यम वर्गीय परिवारों से संबंध रखते हैं। उनके अभिभावकों पर भी यूनिवर्सिटी प्रशासन की लापरवाही से अार्थिक बोझ बढ़ गया। 

इन पूर्व विद्यार्थियों का आरोप है कि अब उन्हें एम.डी.यू. की साधारण डिग्री थमाई जा रही है। बी.ए. की इस डिग्री के सहारे वे प्रोफेशनल पढ़ाई का कोई फायदा नहीं उठा सकते। सबसे बड़ी बात यह है कि जो एम.डी.यू. साधारण बी.ए. की डिग्री दे रही है, वह बी.ए. पास होने के बावजूद विद्यार्थियों को एम.ए. करने के लिए प्रवेश देने से इन्कार कर रही है। फिल्म संपादन से लेकर निर्देशन तक का कोर्स कर चुके ये पूर्व विद्यार्थी अब मुंबई में संघर्ष करने को मजबूर हैं।
 

उनके प्रोफैशन से संबंधित डिग्री नहीं मिलने के कारण उन्हें संबंधित संस्थानों में नौकरी तक नहीं मिल पा रही। इन विद्यार्थियोंकी सरकार से मांग है कि उन्हें न सिर्फ उनके प्रोफेशन से संबंधित डिग्री दिलाई जाए, बल्कि 2 साल समय और पैसे की बर्बादी का मुआवजा भी दिलाया जाए। अगर सरकार की ओर से ऐसा नहीं किया गया तो ये पूर्व विद्यार्थी हाईकोर्ट की शरण में जाने को मजबूर हो जाएंगे। मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो यह गलत है। ऐसे युवाओं को सरकार से शिकायत करनी चाहिए। सरकार जांच कराने के लिए तैयार है।
रामबिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री।

घोटालों की जांच की मांग
इन पूर्व विद्यार्थियों का आरोप है कि स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विजुअल अार्टस में यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने के बाद ही अफसरशाही पूरी तरह हावी हो गई थी। अनावश्यक उपकरणों व सामान की खरीद में जमकर घोटाला किया गया था। अफसरों ने अपने मनमाने तरीके से पानी की तरह पैसा बहाया। अगर सरकार इन घोटालों की जांच कराए तो कई अफसरों की गर्दन नप सकती है। प्रदेश सरकार ईमानदार होने का दावा कर रही है। इस यूनिवर्सिटी के घोटालों की जांच के बाद ही उसके दावों को पुख्ता माना जा सकता है।

Deepak Paul