7 सालों से नौकरी कर रही महिला का वेतन मात्र 78 रुपए

9/21/2016 3:45:58 PM

रेवाड़ी (वधवा): एक महिला मात्र 78 रुपए महीने के वेतन पर स्वीपर के पद पर पिछले 7 सालों से नौकरी कर रही है। अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि महंगाई की मार झेल रहे गरीबों को जहां मात्र 2.60 रुपए रोजाना के वेतन में गुजारा करना पड़ रहा है, वहीं इस महिला की पे-स्लिप उन सांसदों व विधायकों को चिड़ा रही है जो लाखों रुपए का मासिक वेतन पाने के बाद भी इसमें बढ़ौतरी की मांग करते हैं और 5 साल बाद पैंशन के हकदार बन जाते हैं। 

40 वर्षीय यह महिला है लाजवंती। उसका पता ठिकाना है-यादव नगर, रेलवे कालोनी, गली नं. 9 रेवाड़ी। कार्यालय-भारतीय डाक विभाग। लाजवंती को 7 वर्ष पूर्व नगर के कंकरवाली (रेलवे कालोनी) के उप डाकघर में तत्कालीन पोस्ट मास्टर रामप्रसाद ने मात्र 56 रुपए मासिक वेतन पर अस्थायी तौर पर लगाया था कि काम-काज देखकर उसका वेतन बढ़ता रहेगा। 

इसी उम्मीद में लाजवंती को इस डाकघर में मात्र 56 रुपए वेतन पर काम करने को मजबूर कर दिया। कई पोस्ट मास्टर आए और चले गए। रामप्रसाद भी रिटायर हो गए। वेतन बढ़ौतरी की आस में लाजवंती के 7 साल गुजर गए। 2 साल पूर्व उसे मात्र 22 रुपए बढ़ौतरी का तोहफा मिला था। यानी 56 रुपए से बढ़ाकर 78 रुपए वेतन कर दिया गया। उसे हर माह वेतन मिलता है और इस वेतन से क्या हो सकता है, यह हम-आप सभी अच्छी तरह से जानते हैं। केन्द्र सरकार का यह विभाग आज भी 1960-70 के दशक के दौर में जी रहा है। 

लाजवंती कहती है कि मेरे 4 बच्चे हैं। 2 लड़के व 2 लड़कियां। पति भी स्वीपर का काम करते हैं। मैं इस उप डाकघर में रोजाना जाती हूं और अपना काम करके केवल यह सुनने के इंतजार में बैठी रहती हूं कि तुम्हारा वेतन बढ़ गया है लेकिन यह स्वर आज तक सुनाई ही नहीं दिया। मैंने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। मुझे भगवान पर भरोसा है। उसने कहा कि 78 रुपए में एक समय का भोजन नहीं बन सकता, फिर 6 सदस्यों का परिवार क्या खाएगा। यह तो पति को मिलने वाले वेतन से जैसे-तैसे गुजारा हो रहा है। इन हालातों में भी मैंने अपनी एक बेटी को 12वीं तक पढ़ाया है। उसने कहा कि कई बार संबंधित उच्चाधिकारियों को वेतन वृद्धि हेतु पत्र लिखे लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।